"ईद-ए-मिलाद-उन-नबी" - लेख क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, October 19, 2021, 02:56:57 PM

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Atul Kaviraje

                                     "ईद-ए-मिलाद-उन-नबी"
                                           लेख क्रमांक-2
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मित्रो,

     आज दिनांक-१९.१०.२०२१-मंगलवार है. आज "ईद-ए-मिलाद-उन-नबी" का त्योहार मनाया जा रहा है. मराठी कविता के मेरे सभी मुस्लिम कवी-कवयित्री भाई-बहनो को इस त्योहार की बहोत  सारी शुभ-कामनाये. " ईद-ए-मिलाद " मुबारक हो. आईए, इस शुभ अवसर पर पढते है इसका महत्त्व, लेख, एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी.

              ईद-ए-मिलाद उन-नबी या बारावफात  क्या है---

     ईद-ए-मिलाद उन-नबी या बारावफात Barawafat क्या है हिन्दू धर्म की तरफ ही मुस्लिम धर्म में भी सालभर पर्व एवं उत्सव मनाये जाते रहे है. मगर हिन्दुओं के होली दिवाली की तरह ईदमिलादुन्नबी अथवा बारा वफात को अन्य पर्वों से अधिक अहमियत दी जाती है.रबी उल अव्वल इस्लाम केलेंडर एक पवित्र महिना है जिसकी बारह तारीख को पैगम्बर मुहम्मद साहब अवतरित हुए थे, इसी याद में यह पर्व जिसे हम ईद-ए-मिलाद अथवा बारावफात Barawafat कहते है मनाया जाता है. वर्ष 2021  इसे 19 अक्टूबर को भारत में मनाया जाएगा.

              मिलाद उन नबी का इतिहास---

                   बारावफात 2021---

     वर्ष 2021 में बारावाफात या मिलाद उन नबी का यह मुस्लिम उत्सव इस साल 19 अक्टूबर को गुरूवार के दिन मनाया जाएगा. पर्व को मनाने के तरीके को लेकर अतीत से आज तक बहुत से परिवर्तन आए हैं.

     पहले इसे काफी सादगी के साथ एक सांकेतिक रूप में मनाया जाता था, मगर अब इसे बेहद धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस दिन बाजारों में रौनक लौट आती है, सभी लोग मस्जिदों की ओर आते जाते दीखते है.

                            बारावफात का महत्व---

     'ईद ए मिलाद' (मीलाद उन-नबी) को बारावफात कहा जाता है. ये अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है पैगम्बर साहब का जन्म दन. इस दिन विशेष धार्मिक पर्वो का आयोजन किया जाता है.

     ऐसा माना जाता है जो इस दिन पैगम्बर की शिक्षाओं पर चलने का प्रण लेता है उसे मृत्यु पश्चात स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

     मुस्लिम समाज के सभी फिरको में इस दिन आपसी एकता और सद्भाव के दर्शन मिलते है. सभी मस्जिद जाकर एक ईश्वर की सन्तान होने का पैगाम देते हैं. मानव कल्याण के लिए ईश्वर की शिक्षाओं की सही व्याख्या और उसे जन जन तक पहुचाने की आवश्यकता हैं.

     आज संसार में इस्लाम आंतक का स्वरूप लेता जा रहा हैं. धर्म की शिक्षाएं शांति स्थापना के लिए होनी चाहिए कुछ तंजीमे तथा समुदाय इसे गलत स्वरूप देकर दुनिया के समक्ष प्रस्तुत करते हैं.

     प्रत्येक मुस्लिम को बारावफात जैसे अवसरों पर इस चिन्तन करना चाहिए, कि हम जिस धार्मिक कट्टरपन की तरफ बढ़ रहे है वह इस्लाम और मानव समुदाय के खिलाफ हैं.

                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हि हिंदी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.10.2021-मंगळवार.