"ईद-ए-मिलाद-उन-नबी" - लेख क्रमांक-3

Started by Atul Kaviraje, October 19, 2021, 02:58:36 PM

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Atul Kaviraje

                                      "ईद-ए-मिलाद-उन-नबी"
                                            लेख क्रमांक-3
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मित्रो,

     आज दिनांक-१९.१०.२०२१-मंगलवार है. आज "ईद-ए-मिलाद-उन-नबी" का त्योहार मनाया जा रहा है. मराठी कविता के मेरे सभी मुस्लिम कवी-कवयित्री भाई-बहनो को इस त्योहार की बहोत  सारी शुभ-कामनाये. " ईद-ए-मिलाद " मुबारक हो. आईए, इस शुभ अवसर पर पढते है इसका महत्त्व, लेख, एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी.

                 बारावफात Barawafat क्या है---

     Rabi ul Awwal रबि अल अव्वल माह में मनाया जाने वाला यह एक इस्लामिक त्यौहार है जो मोहम्मद साहब के जन्म दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.

     इस्लामिक तारीख (इतिहास) के अनुसार माना जाता है कि हजरत रसूल उल्लाह मोहम्मद सल्लाह औह-आलै वसल्लम को अल्लाह ने पृथ्वी पर अन्याय को मिटाकर शांति व धर्म की स्थापना के लिए उन्हें जमीन पर भेजा.

     मान्यता है कि मोहम्मद साहब से पूर्व 124000 नबी और रसूल का अवतरण हुआ था. सबसे अंतिम रसूल के रूप में पैगम्बर मुहम्मद साहब को 20 अप्रैल 571 ईसवी मुताबिक आज के दिन (12 रबी-ए-उल-अव्वल) पीर (सोमवार) के दिन अरब के मक्का में भेजा.

     इनकी माता व पिता का नाम हजरते आमना खातून के यहाँ हुआ. कहा जाता है कि इनके जन्म से पूर्व ही पिताजी चल बसे थे, अतः इन्हें मोहम्मद कहकर पुकारा गया.

               मिलाद उन नबी इस्लामिक का इतिहास---

     पिता की मृत्यु के बाद मोहम्मद साहब की परवरिश दादा अब्दुल मुन्तलिब साहब द्वारा की गई. मक्का शहर के लोग इन्हें सम्मान की नजरों से देखते थे. मोहम्मद साहब का विवाह खदीजा से २५ वर्ष की आयु में हो गया था. वे अपने परिवार के पालन पोषण के लिए व्यापार का कारोबार किया करते थे.

     जब मुहम्मद साहब चालीस वर्ष के हुए तो उन्हें नबी बनने का फरमान हुआ. उस समय सम्पूर्ण अरब व मुस्लिम देशों में अराजकता का माहौल था. लोग धर्म को पूरी तरह भूल चुके थे.

     छोटी छोटी बातों पर झगड़े तथा हिंसा आम बात हुआ करती थी. ऐसे समय में नबी ने सच्चे रसूल का फर्ज अदा करते हुए लोगों को तालीम, अच्छाईयों को अपनाने तथा हिंसा से दूर रहने का हुक्म दिया.

     उन्होंने कुरान को उतारा तथा इस्लाम में विश्वास रखने वाले धर्मावलम्बियों को इसका महत्व बताया. ६३ वर्ष की आयु में रबी ने इस लोक को अलविदा कह दिया.

     12 रवी-उल-अव्वल को ईदमिलादुन्नवी का जुलूस निकालकर शहर व शहर ईद-उल-मिलादुन्नवी को एक पर्व की तरह सेलिब्रेट किया जाता है. हजरत साहब की दरगाह मक्का मदीना में हैं. इस्लाम धर्म में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति अपने जन्म एक बार हज यात्रा पर अवश्य जाता है.


                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हि हिंदी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.10.2021-मंगळवार.