II शुभ दीपावली II-"लक्ष्मी पूजन"-लेख क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, November 04, 2021, 06:11:21 PM

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Atul Kaviraje

                                          II शुभ दीपावली II
                                             "लक्ष्मी पूजन"
                                             लेख क्रमांक-2
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मित्रो,

     आज दिनांक-०४.११.२०२१-गुरुवार  है. दीपावली की शुरुवात हुई  है. मराठी कविताके मेरे सभी -हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस दीपावली कि अनेक हार्दिक शुभेच्छाये. आज का दिन "लक्ष्मी पूजन" है. आईए जानते  है, इस दिन का महत्त्व, पूजा विधी, व्रत, एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकIरी . 

                        पूजा की विधि---

     "पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और लाल कपड़ा बिछाकर उस पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की मूर्ति रखें या दीवार पर लक्ष्मी जी का चित्र लगाएं। चौकी के पास जल से भरा एक कलश रखें। माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति पर तिलक लगाएं और दीपक जलाकर जल, मौली, चावल, फल, गुड़, हल्दी, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें और माता महालक्ष्मी की स्तुति करें।"

     सबसे पहले पूजा के जलपात्र से थोड़ा जल लेकर मूर्तियों के ऊपर छिड़कें इससे मूर्तियों का पवित्रकरण हो जायेगा, इसके पश्चात स्वयं को, पूजा सामग्री एवं अपने आसन को भी पवित्र करें। पवित्रीकरण के दौराण निम्न मंत्र का जाप करें-

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।

इसके बाद जिस जगह पर आसन बिछा है उस जगह को भी पवित्र करें और मां पृथ्वी को प्रणाम करें। इस प्रक्रिया में निम्न मंत्र का उच्चारण करें-

पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥
ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः

     अब पुष्प, चम्मच या अंजुलि से एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और ॐ केशवाय नमः मंत्र बोलिये इसके बाद फिर एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और ॐ नारायणाय नमः मंत्र का उच्चारण करें इसी तरह तीसरी बूंद मुंह में डालकर ॐ वासुदेवाय नमः मंत्र बोलें। फिर ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए हाथों को खोलें, अंगूठे के मूल से होठों पोंछ कर हाथों को धो लें। इस प्रक्रिया को आचमन कहते हैं इससे विद्या, आत्म और बुद्धि तत्व का शोधन हो जाता है। तत्पश्चात तिलक लगाकर अंग न्यास करें। अब आप पूजा के लिये पूरी तरह पवित्र हैं।

     इसके बाद मन को एकाग्र व प्रभु में ध्यान लगाने के लिये प्राणायाम करें या आंखें बंद कर मन को स्थिर कर तीन बार गहरी सांस लें। पूजा के आरंभ में स्वस्तिवाचन किया जाता है इसके लिये हाथ में पुष्प, अक्षत और जल लेकर स्वतिन: इंद्र आदि वेद मंत्रों का उच्चारण करते हुए ईश्वर को प्रणाम किया जाता है। किसी भी पूजा को करने में संकल्प प्रधान होता है इसलिये इसके बाद संकल्प करें।

     संकल्प के लिये हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लें साथ में कुछ द्रव्य यानि पैसे भी लें अब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र का जाप करते हुए संकल्प किजिये कि मैं अमुक व्यक्ति, अमुक स्थान एवं समय एवं अमुक देवी-देवता की पूजा करने जा रहा हूं, जिससे मुझे शास्त्रोक्त फल प्राप्त हो।

     संकल्प लेने के बाद भगवान श्री गणेश व मां गौरी की पूजा करें। इसके बाद कलश पूजें। हाथ में थोड़ा जल लेकर आह्वान व पूजन मंत्रों का उच्चारण करें फिर पूजा सामग्री चढायें। फिर नवग्रहों की पूजा करें, इसके लिये हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर नवग्रह स्तोत्र बोलें। तत्पश्चात भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन करें। माताओं की पूजा के बाद रक्षाबंधन करें। रक्षाबंधन के लिये मौलि लेकर भगवान गणपति पर चढाइये फिर अपने हाथ में बंधवा लीजिये और तिलक लगा लें। इसके बाद महालक्ष्मी की पूजा करें।

     माँ लक्ष्मी जी की पूजा के लिए वेदों में कई महत्वपूर्ण मन्त्र दिये गये हैं। ऋग्वेद में एक जगह माँ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र का उल्लेख किया गया है-

धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः।
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमस्तु ते।।
अश्वदायै गोदायै धनदायै महाधने।
धनं मे जुषतां देवि सर्वकामांश्च देहि मे।।
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ।।

     लक्ष्मी जी की पूजा करते वक़्त साफ़-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये। दीपावली के अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा के बाद दीपक पूजन करें इसके लिये तिल के तेल के सात, ग्यारह, इक्कीस अथवा ज्यादा दीपक प्रज्जवलित कर एक थाली में रखकर पूजा करें।

     दीपक पूजन के बाद घर की महिलायें अपने हाथ से सोने-चांदी के समस्त आभूषण इत्यादि को मां लक्ष्मी को अर्पित कर दें। अगले दिन स्नान के बाद विधि-विधान से पूजा के बाद आभूषण एवं सुहाग की अन्य सामग्री जो अर्पित की थी उसे मां लक्ष्मी का प्रसाद समझकर स्वयं प्रयोग करें। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।


                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी.ऍस्ट्रोयोगी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-04.11.2021-गुरुवार.