II शुभ दीपावली II - दीपावली कविता- "घर-घर आज दिवाली"

Started by Atul Kaviraje, November 04, 2021, 06:48:18 PM

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Atul Kaviraje

                                          II शुभ दीपावली II                                     
                                            दीपावली कविता
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मित्रो,

     आज दिनांक-०४.११.२०२१-गुरुवार है. दीपावली की शुरुवात हुई  है.मराठी कविताके मेरे सभी -हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस दीपावली कि अनेक हार्दिक शुभेच्छाये.आईए पढते है, दीपावली की एक कविता.


                                     "घर-घर आज दिवाली"
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घर-घर आज दिवाली–

साथी, घर-घर आज दिवाली !
फैल गयी दीपों की माला !!
मंदिर-मंदिर में उजियाला,
किंतु हमारे घर का, देखो, दर काला, दीवारें काली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
हास उमंग हृदय में भर-भर
घूम रहा गृह-गृह पथ-पथ पर,
किंतु हमारे घर के अंदर डरा हुआ सूनापन खाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली!
आँख हमारी नभ-मंडल पर,
वही हमारा नीलम का घर,
दीप मालिका मना रही है रात हमारी तारोंवाली!
साथी, घर-घर आज दिवाली !
फैल गयी दीपों की माला !!
खेल खीलों और मिठाई दिवाली आई दिवाली आई.

खेल खीलों और मिठाई
देखो देखो दिवाली फिर से आई
हम तो फोड़ेंगे बम
तुमने फोड़ा तो होगी पिटाई
देखो देखो दिवाली फिर से आई
दिवाली पर मुममि ने रंगोली बनाई
पापा ने लाइट लगाई
देखो देखो दिवाली आई
दिवाली के रंग में भंग न करना
क्योंकि दिवाली है दिल वालों की
लाओ मूर्ति लक्ष्मी और गणेश की मिट्टी की
देखो देखो दिवाली आई.


-शानू गुप्ता
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदीपरिचय.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-04.11.2021-गुरुवार.