II शुभ दीपावली II - दीपावली कविता- "जलायी है जो तुमने हे ज्योति"

Started by Atul Kaviraje, November 06, 2021, 12:30:48 AM

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Atul Kaviraje

                                           II शुभ दीपावली II
                                             दीपावली कविता
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मित्रो,

     आज दिनांक-०६.११.२०२१-शनिवार है. दीपावली की शुरुवात हुई  है.मराठी कविताके मेरे सभी -हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस दीपावली कि अनेक हार्दिक शुभेच्छाये.आईए पढते है, दीपावली की एक कविता.


                                   "जलायी है जो तुमने हे ज्योति"
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जलाई जो तुमने- है ज्योति अंतस्तल में ,
जीवन भर उसको जलाए रखूँगा |

तन में तिमिर कोई आये न फिर से,
ज्योतिगर्मय मन को बनाए रखूँगा |

आंधी इसे उडाये नहीं
घर कोइ जलाए नहीं
सबसे सुरक्षित
छिपाए रखूँगा |

चाहे झंझावात हो, या झमकती बरसात हो
छप्पर अटूट एक छवाए रखूँगा |

दिल-दीया टूटे नहीं,
प्रेम घी घटे नहीं,
स्नेह सिक्त बत्ती
बनाए रखूँगा |

मैं पूजता नो उसको,
पूजे दुनिया जिसको,
पर, घर में इष्ट देवी बिठाए |
दीपावली पर कविता हिन्दी में

मनानी है ईश कृपा से इस बार दीपावली,
वहीं......... उन्हीं के साथ जिनके कारण
यह भव्य त्योहार आरम्भ हुआ ...
और वह भी उन्हीं के धाम अयोध्या जी में,

अपने घर तो हर व्यक्ति मना लेता है दीपावली
परन्तु इस बार यह विचित्र इच्छा मन में आई है......
हाँ ...छोटी दीवाली तो अपने घर में ही होगी,
पर बड़ी रघुनन्दन राम सियावर राम जी के साथ |

कितना आनन्द आएगा जब जन्म भूमि में
रघुवर जी के साथ मैं छोड़ूँगा पटाखे और फुलझड़ियाँ...
जब मैं उनकी आरती करूँगा
जब मैं दीए उनके घर में जलाऊंगा
उस आनन्द का कैसे वर्णन करूँ जो
इस जीवन को सफल बनाएगा |

मैं गर्व से कहूँगा कि हाँ मैने इस जीवन का
सच्चा आनन्द आज ही प्राप्त किया है
अपलक जब मैं रघुवर को जब उन्हीं के भवन में
निहारूँगी वह क्षण परमानन्द सुखदायी होंगें |

हे रघुनन्दऩ कृपया जल्द ही मुझे वह दिन दिखलाओ
इन अतृप्त आँखों को तृप्त कर दो
चलो इस बार की दीपावली मेरे साथ मनाओ
इच्छा जीने की इसके बाद समाप्त हो जाएगी
क्योंकि सबसे प्रबल इच्छा जो मेरी तब पूरी हो जाएगी|

                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदीपरिचय.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.11.2021-शनिवार.