"गुरु नानक जयंती"-निबंध क्रमांक-3

Started by Atul Kaviraje, November 19, 2021, 04:44:33 PM

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Atul Kaviraje

                                            "गुरु नानक जयंती"
                                              निबंध क्रमांक-3
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मित्रो,

     आज दिनांक-१९.११.२०२१-शुक्रवार है. आज शीख संप्रदाय के प्रथम धर्मगुरू, श्री नानक देव जी की जयंती है. मराठी कविताके मेरे सभी शीख भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको मेरी अनेको हार्दिक शुभेच्छाये.  आईए इस जयंती पर्व पर जIनते है, पढते है , महत्त्वपूर्ण लेख, निबंध, शुभकामनाये, गुरु नानक जी का शुभ संदेश, एवं कुछ कविताये, रचनाये.

               गुरु नानक जयंती पर निबंध---

            कम उम्र में ही सांसारिक मोह माया से दूर हो गए---

     गुरु नानक देव को बचपन से ही सांसारिक मोह माया में कोई रुचि नहीं थी। उनके पिता ने ऐसे बहुत प्रयास किए कि कैसे भी गुरु नानक देव का सांसारिक मोह माया में मन लगे और वह अपने व्यापार में आगे बढ़े, लेकिन उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया। एक बार का किस्सा ऐसा हुआ, इससे उनके पिता की आंखें खुल गई और उन्होंने मान लिया आपसे गुरु नानक हो, इस संसार की मोह माया से कोई लेना देना नहीं है।

     एक बार की बात है कि गुरु नानक देव को उनके पिता ने कुछ रुपए दिए और व्यापार करने के लिए उनको गांव से बाहर भेजा। लेकिन गुरु नानक जी को रास्ते में कुछ साधु मिल गए। उन सभी साधुओं को भूख लगी थी तो गुरु नानक देव ने उन साधुओं को अपने पैसे से भोजन करवा दिया और वापस लौट कर अपने गांव आ गए। उनके पिता ने पूछा कि तुम इतना लेट क्यों हो गए तो गुरु नानक देव ने अपने पिता से कहा कि वह सच्चा सौदा करके आए हैं।

     गुरु नानक देव की इस बात में पूरी सच्चाई थी कि वह इस संसार के लिए कुछ नहीं करना चाहते थे। गुरुनानक देव सभी को अध्यात्म की दृष्टि देखते थे। वो वही काम करते थे, जो उनको इस सांसारिक मोह माया से अलग लगे। लोगों के साथ उनके परिवार वालों ने उनको सांसारिक मोह माया में डालने की बहुत कोशिश की पर वो सभी अपने प्रयासों में असफल रहे।

                गुरु नानक जयंती पर सामुहिक आयोजन---

     इस प्रकाश पर्व के दिन सिक्खों के पवित्र ग्रंथ में "गुरु ग्रंथ साहिब" को गुरुद्वारे में पढ़ा जाता है। वहां पर दीपक भी जलाए जाते हैं और गुरुद्वारे में दोपहर का भोजन भी पकाया जाता है। सभी गुरुद्वारों में बड़े-बड़े लंगर का भी आयोजन किया जाता है और सिक्ख समुदाय के लोग खड़ा प्रसाद खाकर आनंद प्राप्त करते हैं।

     इसके बाद सभी लोग एक पंक्ति में बैठकर भोजन करते हैं, उसको लंगर भी कहा जाता है। गुरु पर्व के दिन बहुत बड़े जुलूस निकाले जाते हैं। उनमें खेलों का, कुछ झांकी और खास तौर पर पंज प्यारे के जुलूस निकलते हैं।

                    गुरु नानक देव जी के सिद्धांत क्या है?---

     गुरु नानक देव के सिद्धांत आज भी मौजूद है। उनके अनुयायी आज भी उनके द्वारा दिये गए सिद्धांतों पर चल रहे हैं और उनका सभी लोगों को उन पर चलने की शिक्षा भी दे रहे हैं। गुरु नानक देव जी के सिद्धांत निम्न है:

ईश्वर एक है। इस सत्य को कोई भी धर्म नहीं झुठला सकता है।सभी धर्म इस बात को मानते है क्योंकि सभी धर्मों में ईश्वर को एक माना है।

ईश्वर का दर्शन आप हर जगह कर सकते हो, वह इस संसार के सभी मनुष्य, जीव-जंतु, पेड-पौधे आदि सभी सजीवों में दिखाई देता है।

जो भी मनुष्य भगवान की शरण में रहता है, उसको किसी से भी डरने की अर्थात किसी प्रकार का डर उसके मन में नहीं रहना चाहिए।

सभी लोगों को सच्चे मन से और पूरी निष्ठा के साथ भगवान की पूजा करनी चाहिए।
मनुष्य को किसी भी जीव जंतुओं को परेशान नहीं करना चाहिए और ना ही उनको मारना चाहिए।

भगवान की नजर में स्त्री और पुरुष दोनों एक समान है।

मनुष्य को अपने जीवन में स्वस्थ और निरोगी रहने के लिए अच्छा खाना खाना चाहिए तथा उसको कभी लालची, लोभी, क्रोधी नहीं बनना चाहिए।

--राहुल  सिंग  तन्वर
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-द सिम्पल हेल्प.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.11.2021-शुक्रवार.