II श्री गुरु दत्तात्रेय II-दत्त जयंती-लेख क्रमांक-5

Started by Atul Kaviraje, December 18, 2021, 01:42:12 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                         II श्री गुरु दत्तात्रेय II
                                               दत्त  जयंती 
                                             लेख क्रमांक-5
                                       ---------------------

मित्रो,

     आज दिनांक-१८.१२.२०२१-शनिवार है. आज श्री गुरु दत्तात्रेय की दत्त-जयंती है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवयित्री योको श्री  दत्त जयंती की हार्दिक शुभेच्छाये. इस पावन पर्व पर पढते है, लेख, महत्त्वपूर्ण जIनकारी, श्री दत्त पूजा विधी, जीवन परिचय, इतिहास, आरती, भजन एवं अन्य जIनकारी.

                                   दत्त जयंती---

                    ५. भगवान दत्तात्रेय के परिवार का अर्थ---

५ अ. गाय : भगवान दत्तात्रेय के पीछे खडी हुई गोमाता पृथ्वी एवं कामधेनू का प्रतीक होती है । कामधेनू हमें इच्छित वस्तू प्रदान करती है । पृथ्वी एवं गोमाता भी हमें सभी इच्छित प्रदान करती है।

५ आ. ४ श्वान (कुत्ता) : यह ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद एवंअथर्ववेद, इन ४ वेदों का प्रतीक हैं ।

५ इ. औंदुबर का वृक्ष : भगवान दत्तात्रेय का पूजनीय स्वरूप ! इस वृक्ष में भगवान दत्तात्रेय का तत्त्व सर्वाधिक रहता है ।

                                  ६. मूर्तिविज्ञान---

भगवान दत्तात्रेय के मूर्ति में चित्रित अन्य वस्तुओं का भावार्थ आगे दिए अनुसार है ।

६ अ. कमंडलू एवं जपमाला : माला ब्रह्मदेव का प्रतीक है ।

६ आ. शंख एवं चक्र : श्रीविष्णु का प्रतीक हैं ।

६ इ. त्रिशूला एवं डमरू : शिव का प्रतीक है ।

६ ई. झोली : यह अहं का लय हुआ है, इसका प्रतीक है । झोली लेकर घर-घर घूमकर भिक्षा मांगने से अहं नष्ट होता है ।

                                 ७. प्रमुख तीर्थस्थल---

७ अ. माहूर : तहसील किनवट, जनपद नांदेड, महाराष्ट्र.

७ आ. गिरनार : यह सौराष्ट्र में जूनागढ के समीप है । यहां १०सहस्र सीढियां हैं ।

७ इ. कारंजा : श्री नृसिंह सरस्वती का जन्मस्थान ! काशी के ब्रह्मानंद सरस्वतीजीने यहां सर्वप्रथम दत्तमंदिर की स्थापना की थी।

७ ई. औदुंबर : श्री नृसिंह सरस्वतीजीने चातुर्मास के काल में यहां निवास किया था । यह स्थान महाराष्ट्र के भिलवडी स्थानक से १०कि.मी. की दूरीपर कृष्णा नदी के तटपर है ।

७ उ. नरसोबा की वाडी : यह स्थान महाराष्ट्र में है । श्री नृसिंहसरस्वतीने यहांपर १२ वर्ष व्यतीत किए ।यहां कृष्णा एवं पंचगंगा नदियों का मिलन है ।

७ ऊ. गाणगापुर : यह स्थान पुणे-रायचूर मार्गपर कर्नाटक में है ।यहां भिमा एवं अमरजा नदियों का मिलन है । यहांपर नृसिंहसरस्वतीने अपने २३ वर्ष व्यतीत किए थे ।

    ८. यात्रा के लिए अन्य स्थलों की अपेक्षा तीर्थस्थलोंपर जाकर वहां के चैतन्य का लाभ लेंगे.---

भगवान दत्तात्रेय के सभी तीर्थस्थल अत्यंत जागृत होते हैं । कहीं दूर यात्रा के लिए जाने की अपेक्षा हमें ऐसे जागृत स्थलों को प्रस्थान करना चाहिए । इससे वहां की शक्ति का हमें लाभ होता है । अन्य स्थलों को प्रस्थान करने की अपेक्षा तीर्थस्थलोंपर यात्रा ले जाने के संदर्भ में आप के शिक्षकों से बात करें । अनेक लोगों को वहां जानेपर शांति, मन की एकाग्रता में वृद्धी होना एवं (प्रमाद) उत्साह बढना, ऐसी अनुभूतियां हुई हैं ।

                    ९. भगवान दत्तात्रेय की आराधना कैसे करें ?---

९ अ. गंध : भगवान दत्तात्रेय को अनामिकाद्वारा (छोटी उंगली के समीपवाली उंगली से) तिलक लगाएं ।

९ आ. फूल : जाई एवं निशीगंधा के फूल सात अथवा सात की गुणा में अर्पित करें ।

९ इ. उदबत्ती : चंदन, केवडा, चमेली, जाई अथवा अंबर इन गंधों की उदबत्तियां लगाएं ।

९ ई. इत्र : भगवान दत्तात्रेय को 'वाळा' इस गंध का इत्र अर्पण करें।

९ उ. प्रदक्षिणा : भगवान दत्तात्रेय की ७ प्रदक्षिणा करें ।

१०. प्रत्येक देवता के वर्णों के शास्त्रीय ज्ञान को जानकर उसे अन्यों को बताकर धर्मप्रसार करें

     बच्चो, आज हमने भगवान 'दत्तात्रेय' देवता के विषय में ज्ञान प्राप्तकिया । इससे हम यह समझ गए हैं कि हमें अपने धर्म का ज्ञानलेना कितना आवश्यक है ! पाठशाला में हमें यह शिक्षा न मिलने के कारण हमारी अपने देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा नहीं बढती है । यदि कोई इस विषय में कुछ पूछता है, तो हम नहीं बता पाते हैं ।

      इस परिस्थिती को बदलने के लिए अपने देवताओं का शास्त्रीय ज्ञान समझ लेंगे एवं उसे दूसरों को भी बताएंगे । ऐसा सत्कृत्य करने से ही भगवान दत्तात्रेय प्रसन्न होंगे । तो बच्चो, अब अपने देवी-देवताओं का ज्ञान समाज को बताकर हम धर्मप्रसार करेंगे ना ?


– श्री. राजेंद्र पावसकर (गुरुजी), पनवेल.
-----------------------------------


                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदुजागृती.ऑर्ग)
                     ----------------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.12.2021-शनिवार.