II हैप्पी क्रिसमस-मेरी क्रिसमस II- लेख क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, December 25, 2021, 02:11:31 AM

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Atul Kaviraje

                                  II हैप्पी क्रिसमस-मेरी क्रिसमस II
                                             लेख क्रमांक-2
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मित्रो,

     आज दिनांक-२५.१२.२०२१-शनिवार है. प्रभू येशू का जन्म दिन. यह शुभ दिन, त्योहार ख्रिसमस यह नामसे जIनI  जाता है. मराठी कविताके मेरे सभी ख्रिस्ती भाई-बहन कवी-कवयित्री- योको  ख्रिसमस की हार्दिक शुभेच्छाये. "हैप्पी क्रिसमस-मेरी क्रिसमस". आईए, जIनते  है, क्रिसमस की कहानी,इतिहास,माहितीपूर्ण लेख,निबंध,कविता, गाने एवं अन्य जIनकारी.

                              सांता क्लॉज---

     सांता क्लॉज को बच्चे-बच्चे जानते हैं। इस दिन खासकर बच्चों को इनका इंतजार रहता है। संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी में जीसस की मौत के 280 साल बाद मायरा में हुआ था। बचपन में माता पिता के देहांत के बाद निकोल को सिर्फ भगवान जीसस पर यकीं था। बड़े होने के बाद निकोलस ने अपना जीवन भगवान को अर्पण कर लिया। वह एक पादरी बने फिर बिशप, उन्हें लोगों की मदद करना बेहद पसंद था। वह अर्धरात्री को गरीब बच्चों और लोगों को गिफ्ट दिया करते थे।

                            क्रिसमस ट्री---

     जब भगवान ईसा का जन्म हुआ था तब सभी देवता उन्हें देखने और उनके माता पिता को बधाई देने आए थे। उस दिन से आज तक हर क्रिसमस के मौके पर सदाबहार फर के पेड़ को सजाया जाता है और इसे क्रिसमस ट्री कहा जाता है। क्रिसमस ट्री को सजाने की शुरुआत करने वाला पहला व्यक्ति बोनिफेंस टुयो नामक एक अंग्रेज धर्मप्रचारक था। यह पहली बार जर्मनी में दसवीं शताब्दी के बीच शुरू हुआ था।

                           कार्ड देने की परंपरा---

     दुनिया का सबसे पहला क्रिसमस कार्ड विलियम एंगले द्वारा 1842 में भेजा गया था। अपने परिजनों को खुश करने के लिए। इस कार्ड पर किसी शाही परिवार के सदस्य की तस्वीर थी। इसके बाद जैसे की सिलसिला सा लग गया एक दूसरे को क्रिसमस के मौके पर कार्ड देने का और इस से लोगो के बीच मेलमिलाप बढ़ने लगा।

     दरअसल, इसके पीछे एक दिलचस्प बड़ी कहानी है। दुनिया में चौथी शताब्दी से पहले ईसाई समुदाय इस दिन को त्योहार के रुप में नहीं मनाते थे। मगर, चौथी शताब्दी के बाद इस दिन ईसाईयों का प्रमुख त्योहार मनाया जाने लगा। माना जाता है कि यूरोप में गैर-ईसाई समुदाय के लोग सूर्य के उत्तरायण के मौके पर त्योहार मनाते थे। इस दिन सूर्य के लंबी यात्रा से लौट कर आने की खुशी मनाई जाती है, इसी कारण से इसे बड़ा दिन भी कहा जाता है।


                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-पत्रिका.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-25.12.2021-शनिवार.