II मकर-संक्रांति II-कविता क्रमांक-18

Started by Atul Kaviraje, January 15, 2022, 04:43:59 PM

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Atul Kaviraje

                                        II मकर-संक्रांति II
                                         कविता क्रमांक-18
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मित्रो,

     कल  दिनांक-१४.०१.२०२२-शुक्रवार था. मकर संक्रान्तिका पुण्य -पावन-त्योहार-पर्व लेकर यह शुक्रवार आया है. बाहर ठंड है. तील-गुड के लड्डू खाकर शरीर में ऊब-गर्मी-स्नेह निर्माण हो रही है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन,कवी-कवयित्रीयोको मकर संक्रांतिकी बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए, मकर संक्रांतीके  इस पावन पर्व पर पढते है, कुछ रचनाये, कविताये.

                       मकर संक्रांति पर कविता

     मकर संक्रांति पर कविता में पढ़िए लोहड़ी के बाद आने वाली मकर संक्रांति के मनभावन दृश्य का वर्णन। जनवरी में आने वाले इस त्यौहार के बाद सर्दी अपने घर वापस चली जाती है और सूरज का प्रकोप बढ़ने लगता है। बसंत के आगमन कि तैयारियां हो जाती हैं। तो आइये पढ़ते हैं " मकर संक्रांति पर कविता " :-


ठंडी ठंडी हवाओं संग
मिटे अंतर्मन के द्वेष सब,
मकर राशि मे होता है
सूर्य देवता का प्रवेश जब।

गुड़ की डलियों की मिठास में
फिर घुलता सम्पूर्ण देश है,
प्रेम भाव बांट आपस में
खिलता हमारा परिवेश है।

हल्की-हल्की धूप साथ में
मीठी मीठी खुशियां लाये,
भीनी-भीनी तिल की खुशबू
घर आंगन सबका महकाये।

मूंगफली, गुड़ रेवड़ी संग
पंजाब लोहड़ी मनाता है,
दक्षिण भारत भी पोंगल मना
अपने हर ख्वाब सजाता है।

नीले नीले अम्बर में भी
बाहर पतंगों की छाती है,
तितली के रंगों सी मोहक
खुशियां भी अपार आती हैं।

दुर्विचारों का नाश करके
मन की सम्पूर्ण भ्रांति मिटे,
पुष्प की बगिया सी महकती
आपकी मकर संक्रांति दिखे।

जीवन में हम सबके आये
तरक्की के आयाम हजार,
दिल से मुबारक हो सभी को
मकर संक्रांति का त्योहार।


                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अप्रतिमब्लॉग.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.01.2022-शनिवार.