II मकर-संक्रांति II-कविता क्रमांक-30

Started by Atul Kaviraje, January 15, 2022, 05:33:39 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                       II मकर-संक्रांति II
                                        कविता क्रमांक-30
                                     ---------------------
                 
मित्रो,

     कल  दिनांक-१४.०१.२०२२-शुक्रवार था. मकर संक्रान्तिका पुण्य -पावन-त्योहार-पर्व लेकर यह शुक्रवार आया है. बाहर ठंड है. तील-गुड के लड्डू खाकर शरीर में ऊब-गर्मी-स्नेह निर्माण हो रही है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन,कवी-कवयित्रीयोको मकर संक्रांतिकी बहोत सारी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए, मकर संक्रांतीके  इस पावन पर्व पर पढते है, कुछ रचनाये, कविताये.

     जैसा की हम सभी लोग जानते है की मकर संक्रांति भारत का एक फसल त्योहार है जो की पूरे भारत में धूम धाम से मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है। जो की हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है | जब पौष माह में सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब इस त्यौहार की शुरुआत हो जाती है, संक्रांति शब्द जिसको मराठी में 'मकरसंक्रांत' भी कहते थे, आज के इस लेख में हम सभी पाठकों के लिए मकर संक्रांति पर कविता 2022 की, Makar Sankranti Poem in Hindi & Marathi, मकरसंक्रांत कविता मराठी आदि जिन्हे आप अपने भाई, बहन, दोस्त, मित्र, ब्रो, सिस्टर, आदि रिश्तेदारों के साथ साझा कर सकते है| कुछ इस प्रकार है मकर संक्रांति पर कविता


आसमान का मौसम बदला
बिखर गई चहुँओर पतंग।
इंद्रधनुष जैसी सतरंगी
नील गगन की मोर पतंग।मुक्त भाव से उड़ती ऊपर
लगती है चितचोर पतंग।
बाग तोड़कर, नील गगन में
करती है घुड़दौड़ पतंग।पटियल, मंगियल और तिरंगा
चप, लट्‍ठा, त्रिकोण पतंग।
दुबली-पतली सी काया पर
लेती सबसे होड़ पतंग।
कटी डोर, उड़ चली गगन में
बंधन सारे तोड़ पतंग।
लहराती-बलखाती जाती
कहाँ न जाने छोर पतंग।
मकर संक्रांति पर कविता
सूरज ने मकर राशि में दाखिल होकर
मकर संक्रांति के आने की दी खबर
ईंटों के शहर में
आज बहुत याद आया अपना घर.
गन्ने के रस के उबाल से फैलती हर तरफ
सोंधी-सोंधी वो गुड की वो महँक
कूटे जाते हुए तिल का वो संगीत
साथ देते बेसुरे कंठों का वो सुरीला गीत.
गंगा स्नान और खिचड़ी का वो स्वाद,
रंगीन पतंगों से भरा आकाश
जोश भरी "वोक्काटा" की गूँज
सर्दियों को अलविदा कहने की धूम.
अब तुम्हारा साथ ही त्यौहार जैसा लगता है
तुम्हारे आँखों की चमक दीवाली जैसी
और प्यार के रंगों में होली दिखती है
तुम्हारे गालों का वो काला तिल
जब तुम्हारे होठों के गुड की मिठास में घुलता है
वही दिन मकर-संक्रांति का होता है!
वही दिन मकर-संक्रांति का होता है !!


                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-न्यु फ्रेशर्स हब.कॉम)
                    ------------------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.01.2022-शनिवार.