II अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस II-भाषण क्रमांक-5

Started by Atul Kaviraje, March 08, 2022, 12:33:17 AM

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Atul Kaviraje

                                    II अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस II
                                           भाषण क्रमांक-5
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मित्रो,

     आज दिनांक-०८.०३.२०२२, मंगलवार है. यह दिन "जागतिक महिला दिवस" के नाम से भी जाना जाता है. "प्रत्येक वर्ष 8 मार्च पुरे विश्व में महिलाओं के योगदान एवं उपलब्धियों की तरफ लोगो का ध्यान क्रेंदित करने के लिए महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है, महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य नारी को समाज में एक सम्मानित स्थान दिलाना और उसके स्वयं में निहित शक्तियों से उसका ही परिचय कराना होता है।" मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको इस दिन कि मेरी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए पढते है, इस दिन पर लेख, जIनकारी,निबंध,भाषण,शायरी,शुभकामनाये,स्टेटस इत्यादी.

                             हिंदी स्‍पीच 3---

मेरे प्‍यारे दोस्‍तों व आदरणीय अतिथि,

     आज महिला दिवस पर मैं बहुत महत्‍वपूर्ण विषय की ओर आप सभी का ध्‍यान खींचना चाहूंगा। यह विषय है महिला सशक्‍तीकरण। यह शब्‍द सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। सबसे पहले तो महिलाओं को स्‍वयं अपने भीतर की ताकत को पहचानना होगा। सशक्‍तीकरण हमारे अंदर की प्रेरणा से आता है। आत्‍म सम्‍मान का यह भाव यदि होगा तो आपकी बाहरी दुनिया भी उससे सीधे तौर पर प्रभावित होगी। यह बात सही है कि महिलाओं को खुद को साबित करना है लेकिन वे यदि सकारात्‍मक होकर चीजों की ओर देखेंगी तो समस्‍याओं के हल भी निकलते जाएंगे। सशक्‍तीकरण एक विचार है, जिसे धरातल पर केवल दृढ निश्‍चय से ही उतारा जा सकता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को अपने अन्दर की शक्ति जगाना होगी। महिलाओं को खुद में विश्वास का निर्माण करना सीखना होगा। अधिक प्रभावशाली बनने के लिए कौशल सीखना आवश्यक है। आइये आज के महिला दिवस के मौके पर हम सभी यह प्रण लें कि हम अपने आसपास की एवं परिवार की महिलाओं को पूर्ण रूप से सशक्‍त बनने में मदद करेंगे।

                               हिंदी स्‍पीच 4---

आदरणीय अतिथिगण,

     जैसा कि हम सब जानते हैं आज इंटरनेशनल वूमंस डे है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि देश, दुनिया, भाषा, संस्‍कृति और रहन-सहन की सीमाओं से परे आज पूरे विश्‍व की महिलाएं एक हैं। आज वे जिस भावना को महसूस करेंगी, उसमें समानता मुख्‍य भाव है। समानता ही वह शब्‍द है, जो इस दिवस को वजूद में लाया है। अब महिलाओं ने अपनी पहचान कायम कर ली है ऐसे में इसे कायम रखना सभी महिलाओं के लिए चुनौती भी है और दायित्‍व भी। घर, परिवार और समाज में महिलाओं की बढ़ती भागेदारी इस बात का प्रतीक है कि अब महिलाओं का सशक्तिकरण महज नारा या सिद्धांत नहीं रह गया है, यह जीता जागता सच और प्रैक्टिकल है। हालात पहले से जरूर बदले हैं लेकिन पूरी तरह से अभी भी नहीं बदल पाए हैं। महिलाओं की समस्‍याएं अभी भी बनी हुईं हैं। जब तक समाज का रवैया नहीं बदलेगा, महिलाओं की स्थिति संपूर्ण रूप से नहीं सुधरेगी।

बहुत बहुत धन्‍यवाद.


--नवोदित  सक्तIवत
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-नई दुनिया.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-08.03.2022-मंगळवार.