II अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस II-निबंध क्रमांक-4

Started by Atul Kaviraje, March 08, 2022, 01:12:13 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                    II अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस II
                                           निबंध क्रमांक-4
                                  -----------------------------

मित्रो,

     आज दिनांक-०८.०३.२०२२, मंगलवार है. यह दिन "जागतिक महिला दिवस" के नाम से भी जाना जाता है. "प्रत्येक वर्ष 8 मार्च पुरे विश्व में महिलाओं के योगदान एवं उपलब्धियों की तरफ लोगो का ध्यान क्रेंदित करने के लिए महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है, महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य नारी को समाज में एक सम्मानित स्थान दिलाना और उसके स्वयं में निहित शक्तियों से उसका ही परिचय कराना होता है।" मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको इस दिन कि मेरी हार्दिक शुभेच्छाये. आईए पढते है, इस दिन पर लेख, जIनकारी,निबंध,भाषण,शायरी,शुभकामनाये,स्टेटस इत्यादी.

               महिला दिवस के लिए हिंदी में लघु निबंध---

     अंतराष्‍ट्रीय महिला दिवस हर साल बड़े पैमाने पर देश और दुनिया में मनाया जाता है। जहां तक हमारे देश भारत की बात है, भारत में दो प्रकार की महिलाएं हैं। पहली वें जो जीवन में हर प्रकार से सुखी व सुरक्षित हैं और दूसरी वें जिनका पूरा जीवन शुरू से अंत तक संघर्ष की एक अंतहीन कहानी है। वर्तमान दौर की लड़कियों की बात की जाए तो ये लड़कियां आज बहुत से क्षेत्रों में भागेदारी कर रही हैं। पहले महिलाओं को कमजोर व सीमित माना जाता था लेकिन अब महिलाओं ने अपना महत्‍व साबित कर दिखाया है।

     जो महिलाएं संपन्‍न एवं अमीर घरों से संबंध रखती हैं, उनके लिए जीवन एक आनंद की यात्रा है लेकिन गरीब और बेसहारा महिलाएं आज भी जीवन को एक यातना की तरह भुगत रही हैं। निश्‍चित ही देश की सरकार को इस तबके की महिलाओं के लिए गंभीरता से ना केवल विचार करना चाहिये बल्कि उनके लिए कल्‍याणकारी योजनाएं लाना चाहिये और उनका जीवन सुधारना चाहिये।

     यदि कोई लड़की गरीब घर की है और केवल पैसों की कमी के चलते वह पढ़ाई नहीं कर सकती है तो समाज व सरकार को उसकी मदद के लिए आगे आना चाहिये। उसकी प्रतिभा का सम्‍मान किया जाना चाहिये। कामकाजी महिलाओं के सिर पर दोहरी जिम्‍मेदारी होती है। उन्‍हें पढ़ाई भी करना होता है और घर का खर्च भी वहन करना होता है। ऐसी संघर्षरत महिलाओं के लिए अच्‍छा समय अभी भी दूर है।

     शादी के बाद इन महिलाओं का जीवन बदल जाता है। घर की जिम्‍मेदारियों के बोझ तले वे दब जाती हैं। संतान के जन्‍म के बाद उनके दायित्‍व बढ़ते जाते हैं। ऐसे में आखिर वे समझौता करने लगती हैं और खुद को प्राथमिकता पर रखना भूल जाती हैं। यह हमारे समाज और सरकारों का सामूहिक दायित्‍व है कि हम समाज की उपेक्षित, पिछड़ी, बेसहारा, गरीब और अनाथ महिलाओं को आगे बढ़ाएं और उनका जीवन नर्क होने से बचाएं।


--नवोदित  सक्तIवत
-------------------

                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-नई दुनिया.कॉम)
                        ---------------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-08.03.2022-मंगळवार.