II होली II-निबंध क्रमांक-3-अ

Started by Atul Kaviraje, March 17, 2022, 01:59:53 AM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                          II होली II
                                      निबंध क्रमांक-3-अ
                                     -------------------

मित्रो,

      आज दिनांक-१७.०३.२०२२, गुरुवार है. "होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। ". हिंदी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको होली के इस पावन पर्व की अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए पढते है, लेख, महत्त्व, जIनकारी, निबंध, शायरी, बधाई संदेश, शुभकामनाये एवं अन्य.

    बंगाल की दोल जात्रा चैतन्य महाप्रभु का जन्मदिन

     होली से एक दिन पहले बंगाल में दोल यात्रा निकली जाती है। इस दिन महिलाएँ लाल किनारी वाली पारंपरिक सफ़ेद साड़ी पहन कर शंख बजाते हुए राधा-कृष्ण की पूजा करती हैं और प्रभात-फेरी (सुबह निकलने वाला जुलूस) का आयोजन करती हैं। भजन-कीर्तन किया जाता है। चैतन्य महाप्रभु द्वारा रचित राधा-कृष्णा संगीत ज्यादा सुना और गाया जाता है।

     राधा कृष्णा की मूर्ती रख कर होली खेली जाती है। शान्तिनिकेतन में रबिन्द्रनाथ टैगोर द्वारा चलायी हुयी वसंत परंपरा आज भी चलती है। विश्वभारती विश्वविद्यालय में सभी लड़के और लड़कियां पारंपरिक तरीके से होली मनाते हैं। इस उत्सव में सभी अध्यापक व अन्य सदस्य भी हिस्सा लेते हैं।

     भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक चैतन्य महाप्रभु का जन्म दिवस भी इसी दिन बंगाल में मनाया जाता है।

                         मणिपुर की होली – याओसांग

     फाल्गुन महीने के दिन मणिपुर में याओसांग नाम से एक त्यौहार मनाया जाता है। और सबसे रोचक बात यह है कि धुलेंडी वाले दिन को यहाँ 'पिचकारी' कहा जाता है। लेकिन ये याओसांग है क्या?

     याओसांग है एक छोटी सी झोपड़ी। जी हाँ, छोटी सी झोपड़ी।  पूर्णिमा के अपर काल में यह झोपडी हर गाँव में मौजूद नदी व सरोवर के किनारे बनायी जाती है। इस झोपड़ी में चैतन्य महाप्रभु की मूर्ती स्थापित की जाती है। पूजा-अर्चना के बाद इस होपड़ी को अग्नि देव के हवाले कर दिया जाता है।

     सबसे रोचक बात यह है कि इस झोपडी में लगने वाली सामग्री 7 से 13 वर्ष के बच्चे आस-पास के घरों से चोरी कर के लाते हैं। इसकी राख को माथे पर लगाया जाता है और कुछ लोग इसे घर भी लेकर जाते हैं। उसे बाद रंगों से सारा माहौल रंग-बिरंगा हो जाता है। बच्चों द्वारा घर-घर जाकर खाने-पीने की चीजें इकट्ठी की जाती हैं। इन चीजों को एकत्रित कर विशाल सामूहिक भोज का आयोजन किया जाता है।

                         महाराष्ट्र की होली – रंग पंचमी

     महाराष्ट्र में होली के बाद भी रंग खेलने की परम्परा है। यह त्यौहार वहां पंचमी के दिन मनाया जाता है। लेकिन इस होली की ख़ास बात यह है कि इसमें बस सूखा गुलाल ही प्रयोग किया जाता है। कई स्वादिष्ट पकवान बनाये जाते हैं। जिनमें पूरनपोली नाम का पकवान अवश्य होता है। मछुवारे अपनी मस्ती बस्ती में नाचते-गाते और मौज मानते हैं। एक दुसरे से मिलने उनके घर जाते हैं।

--संदीप कुमार सिंग
------------------

                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अप्रतिम ब्लॉग.कॉम)
                     ------------------------------------------


-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-17.03.2022-गुरुवार.