II होली II-कविता क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, March 17, 2022, 02:04:36 AM

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Atul Kaviraje

                                               II होली II
                                            कविता क्रमांक-2
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मित्रो,

      आज दिनांक-१७.०३.२०२२, गुरुवार है. "होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। ". हिंदी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको होली के इस पावन पर्व की अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए पढते है, कविताये,रचनाये,शायरी, राधा-कृष्ण शायरी, चित्रपट होली-गीत एवं अन्य.

बुराइयों को छोड़ जाना,
अच्छाईयों को अपना जाना,
खुशियों को बांट जाना,
होली के रंग में रंग जाना।
रूठे हुए को मना जाना,
बिछड़े हुए को मिला जाना,
दुखों को बांट जाना,
होली के रंग में रंग जाना।
पकवानों को साथ लाना,
गरीबोँ को साथ खिलाना,
तोहफे को बांट जाना,
होली के रंग में रंग जाना।
दुआओं को संग लाना,
आशीर्वादों को समेट जाना,
हर किसी को गले लगाना,
होली के रंग में रंग जाना।
*****
तू अपने रंग में रंग दे श्यामा
संसार के रंग फीके दिखे
जो तेरा प्रेम मिल जाये श्यामा
जीवन रस रंग भर भर दिखे

संसार के रंग बहुत देखे
तारों से सजा अम्बर देखा
जो तेरे रंग का हुआ अहसास
सारे रंग मोहे फीके दिखे
तू अपने रंग में रंग दे श्यामा
संसार के रंग फीके दिखे

राधा ने रंग दी प्रेम रास रंग में
मीरा ने रंग दी भक्ति में
द्रौपदी की मित्रता के रंग भी देखे
पर अपनी चुनरिया फीकी दिखे
तू अपने रंग में रंग दे श्यामा
संसार के रंग फीके दिखे
*****
रंग रंगीली आई होली,
खुशियों को संग लायी होली।
अपने रंग में रंगने को,
अपनों को संग लायी होली।
बुराईयों को मिटाने को,
अच्छाई का दीप जलाये होली।
रूठे हुए को मनाने को,
प्यार की भाषा सिखाये होली।
भूखे हुए को खिलाने को,
पकवानों की थैली लायी होली।
बिछड़े हुए को मिलाने को,
रंगों की शाम लायी होली।
सभी के जीवन को खुशहाल करने को,
यादों की पोटरी लायी होली।
*****
रंग -रंगीली मस्ती वाला,
आया है होली का त्यौहार।
प्रेम भाव से इसे मनायें,
न हो कोई भी तकरार।
रंग -बिरंगे इस पर्व पर,
होता बिना किये श्रृंगार।
नाचे गायेंग ढोल बजायें,
हम बच्चों की टोली भरमार।
रंग लगायें एक दूजे को,
करे प्रेम रस की बौछार।
जाती -मजहब सब भूले आज,
बड़ों को आदर , छोटो को दें प्यार।
रीत -प्रीत , गीत -मीत और,
रंग उमंग तरंग उपहार।
भेद भाव मिटाने दिल का,
आता है होली का त्यौहार।
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--पंकज गोयल
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अजबगजब.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-17.03.2022-गुरुवार.