II होली II-कविता क्रमांक-3

Started by Atul Kaviraje, March 17, 2022, 02:06:15 AM

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Atul Kaviraje

                                              II होली II
                                           कविता क्रमांक-3
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मित्रो,

      आज दिनांक-१७.०३.२०२२, गुरुवार है. "होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। ". हिंदी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको होली के इस पावन पर्व की अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए पढते है, कविताये,रचनाये,शायरी, राधा-कृष्ण शायरी, चित्रपट होली-गीत एवं अन्य.

होली है भाई होली है
मौज मस्ती की होली है
रंगो से भरा ये त्यौहार
बच्चो की टोली रंग लगाने आयी है
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है

एक दूसरे हो रंग लगाओ
मन की कड़वाहट को छोड़ो
सब मिल के खुशियां मनाओ
अपनी परंपरा कभी न छोड़ो
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है

होलिका दहन का मतलब समझो
हिरणकश्यप के दंभ को तोड़ो
भक्त प्रह्लाद को रखना याद
कभी न छोड़ना सच का साथ
बुरा ना मानो होली है
होली है भाई होली है
*****
सच है, नहीं ठिठोली है
चेहरों पर रंगोली है
देश देश में गाँव गाँव में
होली है भई होली है

पत्रिकाओं में अखबारों में
गली गली में चौबारों में
हम मस्तों की टोली है
होली है भई होली है
कहीं रंग है कहीं भंग है
बड़ी उमंग में कहीं चंग है
मौसम भी हमजोली है
होली है भई होली है

कहीं राग है कहीं फाग है
चौरस्ते होलिका आग है
ठंडाई भी घोली है
होली है भई होली है
धूप धूप में छाँह छाँह में
हर अंजुरी हर एक बाँह में
गुझिया पूरनपोली है
होली है भई होली है

ऋतुओं पर ठहरा गुलाल है
रंग रंगा हर नौनिहाल है
कोयल कूहू बोली है
होली है भई होली है
नया घाघरा नई कुर्तियाँ
नये पजामे नई जूतियाँ
चूड़ी चुनरी चोली है
होली है भई होली है
*****
कहे धरती ये पुकार,
आया होली का त्यौहार,
छोड़ सर्दी ली मौसम ने करवट,
लेकर अंगड़ाई आई है होली।
भेद-भाव को गिरा चले हम,
बढ़ी दूरियां मिटा चले हम,
गुलालों से तन है सजी,
पकवानों से रसोई है सजी,
बच्चे और नौजवानों की टोली,
रंगों संग पिचकारी है बोली,
बुरा ना मानो आई है होली।
मिलकर गले भाईचारा बढ़ाएं,
मेलजोल का पाठ पढ़ाएं,
संग हमारे धरती भी खेल रही होली।
धरती के सर पर चुनरी नीली नीली,
पैरों तले हरियाली ओढे खेत पीली पीली,
रंगों का यह मेल दिखाती,
एक दूजे बिन अधूरा है सिखाती,
जंग की रंगीन दुनिया में भी,
दिल की चादर कोरी कोरी,
तन संग मन भी भीग जाए,
ऐसे रंग में रंग दे होली।
अपनापन का रंग लगाकर,
सुख के रंग भर दे तो खुश रंग है होली।
प्रीत का ज्योत जलाकर,
सबको मीत बना दे तो,
झूम कर यह कह उठे दिल,
हर दिन है सब की होली।
*****

--पंकज गोयल
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अजबगजब.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-17.03.2022-गुरुवार.