II होली II-होली पर बच्चों के लिए कविता-क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, March 18, 2022, 02:05:32 PM

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Atul Kaviraje

                                           II होली II
                           होली पर बच्चों के लिए कविता-क्रमांक-2
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मित्रो,

      कल दिनांक-१७.०३.२०२२, गुरुवार था.  "होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। ". हिंदी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको होली के इस पावन पर्व की अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए पढते है, कविताये,रचनाये,शायरी, राधा-कृष्ण शायरी, चित्रपट होली-गीत एवं अन्य.

रंग -रंगीली मस्ती वाला, आया है होली का त्यौहार।
प्रेम भाव से इसे मनायें, न हो कोई भी तकरार।
रंग -बिरंगे इस पर्व पर, होता बिना किये श्रृंगार।
नाचे गायेंग ढोल बजायें, हम बच्चों की टोली भरमार।
रंग लगायें एक दूजे को, करे प्रेम रस की बौछार।
जाती -मजहब सब भूले आज, बड़ों को आदर , छोटो को दें प्यार।
रीत -प्रीत , गीत -मीत और, रंग उमंग तरंग उपहार।
भेद भाव मिटाने दिल का, आता है होली का त्यौहार।
*****
जाओ तुम बगिया में जाओ।
रंग-बिरंगे फूल ले आओ।
बनाएंगे हम फूलों के रंग।
फिर खेलना तुम सबके संग।
रंगों पे खरचोगी पैसे।
जोड़े तुमने जैसे तैसे।
उसका कोई उपयोग न होगा।
उलटे यह नुकसान ही होगा।
चलो अनाथालय में जाएँ।
भूखे बच्चों को खिलाएं।
*****
तुमको रंग लगाना है, होली आज मनाना है।
प्रतिकार करो इनकार करो, पर रगों को स्वीकार करो।
रगों से तुम्हें नहलाना है, होली आज मनाना है।
भर पिचकारी बौछार जो मारी, भीगी चुनरी भीगी साड़ी।
अपने ही रंग में रंगवाना है, होली आज मनाना है।
अबीर गुलाल तो बहाना है, दूरियाँ दिलों की मिटाना है।
तो कैसा ये शरमाना है, होली आज मनाना है।
*****
भालू ने हाथी दादा के, मुहँ पर मल दी रोली।
ठुमक-ठुमक कर लगे नाचने, बोले – "आई होली"।
हाथी दादा ने भालू को, अपने गले लगाया।
घर ले जाकर गन्ने का रस, दो पीपे पिलवाया।
आई होली, आई होली, आई होली, आई होली...!
*****
आई होली आई होली, आई होली रे...
रंग लगाओ ख़ुशी मनाओ, आई होली रे..
खूब मिठाई और पिचकारी, आई होली रे...
सबको बाटो खुशियाँ ही खुशियाँ,आई होली रे..
आई होली आई होली, आई होली रे...
रंग लगाओ ख़ुशी मनाओ, आई होली रे...
*****
रंग-बिरंगे, प्यारे-प्यारे।
ले लो ये रंगीन गुब्बारे।
लाल, हरे और पीले ले लो।
नीले और चमकीले ले लो।
गोल-गोल हैं मोटे मोटे।
लंबे लंबे, छोटे छोटे।
सुंदर ले लो, सस्ते ले लो।
इन्हें उछालो, इनसे खेलो।
रंग-बिरंगे, प्यारे-प्यारे।
ले लो ये रंगीन गुब्बारे।
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--पंकज गोयल
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अजबगजब.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.03.2022-शुक्रवार.