II होली II-राधा कृष्ण होली शायरी-क्रमांक-5

Started by Atul Kaviraje, March 18, 2022, 03:06:22 PM

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Atul Kaviraje

                                           II होली II
                                    राधा कृष्ण होली शायरी
                                           क्रमांक-5
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मित्रो,

      कल दिनांक-१७.०३.२०२२, गुरुवार था.  "होली एक ऐसा रंगबिरंगा त्योहार है, जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। ". हिंदी कविताके मेरे सभी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको होली के इस पावन पर्व की अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए पढते है, कविताये,रचनाये,शायरी, राधा-कृष्ण शायरी, चित्रपट होली-गीत एवं अन्य.

तेरे मेरे बीच कान्हा जो गुजर गयी रातें 
जो गुजर गयी रातें
आ उनको फिर से इक बार जगा लें
बिसर गयी जो बातें
आ उनको फिर से याद में बुला लें.
मैं हूँ तेरी प्रेम दीवानी कान्हा
लोग कहते तू है मेरा दीवाना
तुझ पर निहाल मैं तुझ पर निछावर
प्रेमी बावला तुझको कहे सब
पर तू तो है मेरा सांवरा सयाना.
आज है होली मेरे गिरधर
रंग ले मुझे अपने प्यार में
डूब जून कुछ ऐसे तुझमे
कोई देख ना पाए संसार में.
जब भी तेरी सूरत देखूं बन्सीवाले
जिन्दगी मेरी मुस्कुराने लगी है
ये मेरी दीवानगी है या प्रेम की इन्तहा
हर तरफ तेरी सूरत नजर आने लगी है.
हो रही सब और रंगों की बोछार
पड़ने लगी चहुँ और गुलाल की फुहार
चन्दन की खुसबू जैसे तेरा प्यार
मुबारक हो कान्हा तुझे होली का त्योंहार.

ओ मेरी राधा रानी लाया सातों रंग तेरे लिए
लाल रंग- तेरे गालों के लिए
काला रंग- तेरे बालों के लिए
पीला रंग- तेरे हाथों के लिए
नीला रंग- तेरी आँखों के लिए
सफ़ेद रंग- तेरे मन के लिए
गुलाबी रंग-तेरे सपनों के लिए
हरा रंग- तेरे जीवन के लिए
ये सात रंग तेरे उपर वार दूँ
आ में तुझे हाथों से संवार दूँ
तेरे होठों को अपना नाम दूँ
तेरे तन-मन को इतना प्यार दूँ.
राधे मेरे नैना तुझसे लड़ गए
मैं तुझमे तू मुझमे बस गए
दो जिस्म और इक जान हम बन गए
तू और मैं बस इक आत्मा रह गए.
आई रुत फागुन की चहुँ और
उड़े है गुलाल चहुँ और
आजा अब तो राधे खेलें होली
आ भी जा भिगो दूँ तेरी चोली.
कान्हा तू तो है चाहत मेरी
तुझसे ही दिल में राहत मेरी
रास रचा ले सजना कितना भी
सब कहते राधा तो है बस तेरी.
आज कान्हा रात भर ना मैं सोई
कर दे मुझे तू प्यार से निहाल
तेरे ही सपनों में रात भर खोई
तुझ बिन तो हुआ मेरा बड़ा बेहाल.
राधा के सच्चे प्रेम का यह ईनाम हैं,
कान्हा से पहले लोग लेते राधा का नाम हैं।
कान्हा को राधा ने प्यार का पैगाम लिखा,
पुरे खत में सिर्फ कान्हा कान्हा नाम लिखा।

प्रेम की भाषा बड़ी आसान होती हैं,
राधा-कृष्ण की प्रेम कहानी ये पैगाम देती हैं।

कितने सुंदर नैन तेरे ओ राधा प्यारी,
इन नैनों में खो गये मेरे बांकेबिहारी।

कान्हा तुझे ख्वाबों में पाकर दिल खो ही जाता हैं
खुदको जितना भी रोक लू, प्यार हो ही जाता हैं।

हे कान्हा, तुम संग बीते वक़्त का मैं कोई हिसाब नहीं रखती
मैं बस लम्हे जीती हूँ, इसके आगे कोई ख्वाब नहीं रखती।


--AUTHOR UNKNOWN
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-भक्ती की शक्ती.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.03.2022-शुक्रवार.