II रंगपंचमी II-लेख क्रमांक-1

Started by Atul Kaviraje, March 18, 2022, 08:39:19 PM

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Atul Kaviraje

                                           II रंगपंचमी II
                                           लेख  क्रमांक-1
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मित्रो,

     आज दिनांक-१८.०३.२०२२, शुक्रवार, रंगपंचमीका रंगीत दिन है. "हर साल धुलेंडी यानी रंगों वाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है। फिर होली वाले दिन रंग-गुलाल के साथ होली खेली जाती है। इस साल यानी साल 2022 में 17 मार्च को होलिका दहन होगा और इसके बाद 18 मार्च को होली मनाई जाएगी। होली के पांचवें दिन यानी चैत्र कृष्ण पंचमी को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाता है।" मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको इस रंगीन पर्व कि हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते है इस दिवस का महत्त्व, लेख, निबंध, शुभकामनाये, शायरी, बधाई संदेश एवं अन्य जIनकारी--

     "हर साल धुलेंडी यानी रंगों वाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है। फिर होली वाले दिन रंग-गुलाल के साथ होली खेली जाती है। इस साल यानी साल 2022 में 17 मार्च को होलिका दहन होगा और इसके बाद 18 मार्च को होली मनाई जाएगी। होली के पांचवें दिन यानी चैत्र कृष्ण पंचमी को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाता है।"

     इस दिन मनाया जाएगा रंगपंचमी का त्योहार, जानिए क्या है इसका धार्मिक महत्व?

     Rang Panchami 2022: होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। बसंत पंचमी के बाद से ही होली के पर्व का इंतजार शुरू हो जाता है। हर साल धुलेंडी यानी रंगों वाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है। फिर होली वाले दिन रंग-गुलाल के साथ होली खेली जाती है। इस साल यानी साल 2022 में 17 मार्च को होलिका दहन होगा और इसके बाद 18 मार्च को होली मनाई जाएगी। होली के पांचवें दिन यानी चैत्र कृष्ण पंचमी को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाता है। रंगपंचमी का त्योहार देवताओं को समपर्ति माना गया है। देशभर में रंगपंचमी काफी धूमधाम से मनाई जाती है। चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाए जाने की वजह से इसे कृष्ण पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। तो चलिए जानते हैं कि किस तरह मनाया जाता है रंगपंचमी का त्योहार और क्या है इसका महत्व...

                   कैसे मनाते हैं रंगपंचमी?---

     होली का त्योहार चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से आरंभ होकर कृष्ण पक्ष की पंचमी तक मनाया जाता है। वहीं पंचमी तिथि के दिन पड़ने के कारण इसे रंगपंचमी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा के साथ होली खेली थी। रंगपंचमी पर भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा रानी की भी पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन श्रीकृष्ण और राधा रानी को रंग अर्पित किया जाता है। कई राज्यों में रंगपंचमी के दिन जूलूस निकाले जाते हैं, जिसमें हुरियारे अबीर गुलाल उड़ाते हैं।

                       रंगपंचमी का महत्व---

     मान्यता है कि इस दिन वातावरण में उड़ते हुए गुलाल से व्यक्ति के सात्विक गुणों में अभिवृद्धि होती है और उसके तामसिक और राजसिक गुणों का नाश हो जाता है, इसलिए इस दिन शरीर पर रंग न लगाकर वातावरण में रंग बिखेरा जाता है। रंगपंचमी का त्योहार बहुत पुराने समय से मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस त्योहार को अनिष्टकारी शक्तियों से विजय पाने का दिन भी कहा जाता है।

             इन राज्यों में धूमधाम से मनाई जाती है रंगपंचमी---

     रंगपंचमी महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में धूमधाम से मनाई जाती है। महाराष्ट्र में इस त्योहार की सबसे ज्यादा धूम देखने को मिलती है। यहां पर लोग एक दूसरे पर गुलाल उड़ाते हैं। घरों में तरह-तरह के पकवान बनाएं जाते हैं और मित्र एवं रिश्तेदारों को आमंत्रित किया जाता है। लोग नृत्य, संगीत का आनंद लेते हुए रंगपंचमी का उत्सव मनाते हैं।

--आशिकी पटेल
--धर्म डेस्क, अमर उजIला
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अमर उजाला.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.03.2022-शुक्रवार.