II रंगपंचमी II-लेख क्रमांक-2-अ

Started by Atul Kaviraje, March 18, 2022, 08:43:54 PM

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Atul Kaviraje

                                           II रंगपंचमी II
                                         लेख  क्रमांक-2-अ
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मित्रो,

     आज दिनांक-१८.०३.२०२२, शुक्रवार, रंगपंचमीका रंगीत दिन है. "हर साल धुलेंडी यानी रंगों वाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है। फिर होली वाले दिन रंग-गुलाल के साथ होली खेली जाती है। इस साल यानी साल 2022 में 17 मार्च को होलिका दहन होगा और इसके बाद 18 मार्च को होली मनाई जाएगी। होली के पांचवें दिन यानी चैत्र कृष्ण पंचमी को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाता है।" मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको इस रंगीन पर्व कि हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते है इस दिवस का महत्त्व, लेख, निबंध, शुभकामनाये, शायरी, बधाई संदेश एवं अन्य जIनकारी--

                   वर्ष 2022 की में कब है ये पर्व---

     रंग पंचमी के त्योहार को इस साल 22 मार्च को मंगलवार के दिन मनाया जा रहा है। इस शुभ दिवस पर भक्तों द्वारा शोभायात्रा भी निकाली जाती है।

     नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाने के लिए इस दिन विधिवत अनुष्ठानों का पालन करके की गई पूजा बहुत ही फलदायी होती है। इस दिन के अनुष्ठान होली के त्योहार से भिन्न होते हैं। इसलिए पंचमी की तिथि का ज्ञान होना आवश्यक है। इस दिन बुरे विचारों को मन में नहीं लाना चाहिए। इसी के साथ साथ मदिरापान और तामसिक भोजन को ग्रहण करने से बचना चाहिए।

                     रंग पंचमी का क्या महत्व है ?---

     भारतवर्ष में रंग पंचमी के पर्व का विशेष महत्व है। लेकिन उत्तरी भारत में इस पर्व को ज्यादा मान्यता प्राप्त है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को सूखे गुलाल का प्रयोग करके लोगों द्वारा मिलजुल कर मनाया जाता है। महाराष्ट्र के साथ साथ राजस्थान और मध्य प्रदेश के लोग भी पंचमी के इस दिन को पूरी आस्था के साथ मनाते है। इस भगवान श्री कृष्ण और राधा जी को रंग चढ़ाया जाता है। इस त्योहार के दिन भक्त नृत्य, संगीत और गीत गाते हैं। इस दिन ढोल और नगाड़े बजाकर नृत्य का आनंद लिया जाता है। उज्जैन में इस दिन तोपों से गुलाल को हवा में उठाया जाता है। इस प्रकार धमाकों के साथ फूल और गुलाल को लोगों पर फेंका जाता है।

     विभिन्न क्षेत्रों में इस पर्व को मनाने की परंपराएं अलग हो सकती हैं। लेकिन इसका उद्देश्य सभी स्थानों पर एक जैसा ही रहता है। माना जाता है कि पंचमी के इस शुभ अवसर पर साकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इस दिन देवताओं को रंगों के प्रयोग से पृथ्वी पर आने के लिए आमंत्रित किया जाता है। जिस प्रकार होलिका दहन की अग्नि वातावरण को राजसिक और तामसिक कणों से मुक्त करती है। उसी प्रकार पंचमी की यह पवित्र तिथि पंच तत्वों के प्रहार को वातावरण में तेज कर देती है। यह त्योहार भाई चारे को बढ़़ाने का संदेश लेकर आता है। प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला यह पर्व मिलजुुल कर पूरी श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए।


--AUTHOR UNKNOWN
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-ऍस्ट्रो अपडेट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.03.2022-शुक्रवार.