II रंगपंचमी II-शायरी क्रमांक-3

Started by Atul Kaviraje, March 18, 2022, 09:13:06 PM

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Atul Kaviraje

                                          II रंगपंचमी II
                                         शायरी क्रमांक-3
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मित्रो,

     आज दिनांक-१८.०३.२०२२, शुक्रवार, रंगपंचमीका रंगीत दिन है. "हर साल धुलेंडी यानी रंगों वाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन मनाया जाता है। फिर होली वाले दिन रंग-गुलाल के साथ होली खेली जाती है। इस साल यानी साल 2022 में 17 मार्च को होलिका दहन होगा और इसके बाद 18 मार्च को होली मनाई जाएगी। होली के पांचवें दिन यानी चैत्र कृष्ण पंचमी को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाता है।" मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवयित्रीयोको इस रंगीन पर्व कि हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते है इस दिवस का महत्त्व, लेख, निबंध, शुभकामनाये, शायरी, बधाई संदेश एवं अन्य जIनकारी--

     रंगों के त्योहार के बाद आने वाली रंग पंचमी को सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई। दोस्तो रंग पंचमी भी होली त्योहार के साथ ही मनाई जाती है। भारत के उत्तर और मध्य में रंग पंचमी को बहुत जोर शोर के साथ मनाते है। यहां तक कि होली से भी ज्यादा रंग पंचमी के दिन लोग रंगों से खेलते है।

     इसी कड़ी मे आज हम रंगो की रंग पंचमी शायरी लेकर आए है। जो आपको बहुत ज्यादा पसंद आयेगी। रंग पंचमी के दिन आप इन रंग पंचमी शायरी को अपने दोस्तो के साथ भी शेयर कर सकते है। साथ ही इन रंग पंचमी शायरी को किसी को भी बधाई के तौर पर भी उपयोग में ला सकते है।

आया हैं रंगों का त्यौहार
भर रखे हैं रंग बेशुमार
बस आजाये गली में यार
तो देखना नहीं छोड़ेंगे इस बार

किसी को रंग लगाने की ख़ुशी
तो बस दो पल रहेगी
कभी दुश्मन को गले लगाओ,
खिली हुई मुस्कान सदा साथ रहेगी

रंगो का हैं अपना मिजाज
सुनाते हैं खुशियों का साज
त्यौहारों में हैं खास मेरी होली
दिल से दिल मिलाओ और बोलो मीठी बोली

रंगों में हैं बस प्यार का संदेश
फैलाओं इसे हर देश परदेश
ना कोई हैं छोटा बड़ा
हम सब में बसा हैं देश रंगीला

हर होली तेरी याद आती हैं
गुलाल की बौछार में बस तू दिखती हैं
तुझे कैसे भिगौता था मैं
कैसे रहती हैं तू मेरे बगैर

इस बार रंगों का नया हैं रंग
साथ हैं मेरी नयी नवेली दुल्हन
मनायेंगे ऐसी होली
खुश हो जायेगी घरवाली

अपनों के प्रेम में सराबोर हैं मन
सदा बना रहे यह प्रेम
बस यही हैं अभिनन्दन
हैप्पी रंगपंचमी

रंगों के त्यौहार में नाच रहा हैं मन
आस लगाये राह तक रहा हैं मन
हे ईश्वर कर ऐसी रंगो की बौछार
खुशियाँ ही खुशियाँ हो आज मेरे द्वार

तरह- तरह के रंगों का मेला
चारों तरफ हैं शौर शराबा
घरों में महके पकवानों की खुशबू
मिलेंगे पुराने यार बस यही हैं आरज़ू


                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-बेझूबान शायरी.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.03.2022-शुक्रवार.