II छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती II-लेख क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, March 20, 2022, 06:32:10 PM

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Atul Kaviraje

                              II छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती II
                                            लेख क्रमांक-2
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मित्रो,

     कल दिनांक-२१.०३.२०२२-सोमवार, छत्रपती श्री शिवाजी महाराज की तिथीनुसार जयंती है. इस साल फाल्गुन वद्य तृतीया, 21 मार्च 2022 इस दिन है. महाराष्ट्रमे कई सण या उत्सव तिथीनुसार मनाने की परंपरा है. इस के अनुसार शिवजयंती भी इस तिथी पर बडे उत्साह से मनाई जाती है. कई शिवभक्त २१ मार्च को भी शिवजयंती बडे दिल से मनIते है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस सु-अवसर पर मेरी अनेक हार्दिक शुभेच्छाये .आईए इस सुनहरे दिवस पर पढते है--लेख, निबंध,भाषण,शुभेच्छाये,स्टेटस,कोट्स,शायरी,सु-विचार एवं अन्य महत्त्वपूर्ण जानकारी.

     Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022: Wishes Images, Quotes in Hindi: शिवाजी महाराज जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं---

     Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022: छत्रपति शिवा जी भोंसले का जन्म 19 फरवरी 1630 को एक भोंसले वंश में हुआ था। इसलिए हर वर्ष 19 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती मनायी जाती है। शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। और मुगल शासक औरंगज़ेब के खिलाफ खड़े हुए थे। शिवाजी महाराज के बारे में अधिक जानकारी के लिए पोस्ट को पूरा पढ़े।

     Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2022 (शिवाजी महाराज जयंती)

     छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म शिवनेर के दुर्ग (पूणे के निकट स्थत) में 19 फरवरी 1630 को हुआ था। शिवाजी के पूर्वज मराठा जाति के भोंसले वंश के थे। शिवाजी के पिता का नाम शाह जी भोंसल था। शाह जी भोंसले कुछ समय मुगल राजघराने में सेवा दी थी। शाहजी भोंसल की दो पत्नियाँ थी। पहली पत्नी जीजाबाई थी, शिवा जी महाराज इन्हीं के बेटे थे। शाह जी भोंसल की दूसरी पत्नी का नाम तुकाबाई मोहिते था। शाह जी इनसे बहुत प्रेम करते थे।

     शिवाजी अपनी माता के साथ रहते थे इसीलिए उनके व्यक्तित्व पर उनकी माता का ही सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा। माता जी के बाद जो सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा, वे उनके राजनीतिक गुरु दादाजी कोणदेव थे। इन्हीं के द्वारा शिवाजी को शिक्षा दी गयी थी। शिवाजी के अध्यात्मिक गुरु रामदास थे, जिन्होंने दासबोध नामक प्रसिद्ध ग्रंध की रचना की थी।

     शिवाजी का विवाह 14 मई 1640 में साईबाई निंबालकर से कर दी। शिवाजी और साईबाई निंबालकर से एक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसका नाम शंभा था। शिवाजी के बाद वही मराठा छत्रपति बना था।

     शिवाजी ने कुल 8 विवाह किए थे। वैवाहिक राजनीति के जरिए उन्होंने सभी मराठा सरदारों को एक छत्र के नीचे लाने में सफलता प्राप्त की। शिवाजी की पत्नियाँ: सखुबाई राणूबाई (अम्बिकाबाई); सोयराबाई मोहिते – (बच्चे- दीपबै, राजाराम); पुतळाबाई पालकर (1653-1680), गुणवन्ताबाई इंगले; सगुणाबाई शिर्के, काशीबाई जाधव, लक्ष्मीबाई विचारे, सकवारबाई गायकवाड़ – (कमलाबाई) (1656-1680)।

     शिवाजी का सारा जीवन संघर्षों और धर्म की रक्षा में गुजार गया। उस समय उत्तर भारत में मुगल शासक औरंगज़ेब का शासक था। उसका प्रभाव उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक था। उसी समय दक्कन में मराठा साम्राज्य का उदय हुआ। छत्रपति शिवाजी महाराज धर्म की रक्षा के साथ महिलाओं का भी सम्मान किया।

     शिवाजी की मुगलों के साथ पहला मुठभेड़ 1657 ई0 में हुआ था। उस समय दक्षिण का सुबेदार औरंगज़ेब था। उस समय मुगल शासक शाहजहाँ था।

     शिवाजी ने अनेक लड़ाईयाँ लड़ी। शिवाजी ने पहला विजय अभियान बीजापुर के सेनापति अफज़ल खां के विरुद्ध किया गया। शिवाजी ने बीजापुर सरकार के अनेक किले और प्रदेश को छिन लिया। 6 नवम्बर 1659 को शिवाजी ने अफज़ल खां की हत्या कर दी। इसके बाद सूरत अभियान 1664 ई. किया सूरत व्यापारिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण था। यहां का मुगल गवर्नर इनायत खां था। इस अभियान से शिवाजी को लूट में इतना माल मिला कि उनकी आर्धिक स्थिति काफी अच्छी हो गयी।


--AUTHOR UNKNOWN
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-डेली हंट हिंदी.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.03.2022-रविवार.