II श्री शनी देवाय नमः II-शनि देव भजन-"जय शनिदेव भक्त हितकारी"

Started by Atul Kaviraje, March 26, 2022, 12:09:03 AM

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Atul Kaviraje

                                       II श्री शनी देवाय नमः II
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज शनिवार. श्री शनी देवाचा वार. आज ऐकुया,शनि देव भजन. या भजनIचे बोल आहेत - "जय शनिदेव भक्त हितकारी"

     Jai Shanidev Bhakt Hitkari Shani Dev Hindi Bhajan Lyrics Sung By : Kumar Vishu This version of song is written by Traditional Jai Shanidev Bhakt Hitkari Shani Dev Hindi Bhajan Lyrics Publisher : Nova Spiritual India It is written very beautifully, if you like this song, then share it with others, share it with your friends or Facebook or Whatsapp and give us support.

     बहुत ही सुन्दर गाना हैं Jai Shanidev Bhakt Hitkari Shani Dev Hindi Bhajan Lyrics | जय शनिदेव भक्त हितकारी शनि देव हिंदी भजन लिरिक्स जिसे लिखा हैं Traditional और गया हैं Kumar Vishu बहुत ही सुन्दर तरह से लिखा गया हैं अगर ये गाना आपको अच्छा लगा तो दुसरो के साथ भी शेयर करे अपने दोस्तों या Facebook या Whatsapp पर शेयर करे और हमें सहयोग प्रदान करे .

     
                                          शनि देव भजन 
                                 "जय शनिदेव भक्त हितकारी"
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जय शनिदेव भक्त हितकारी,
सुनलीजै प्रभु अर्ज हमारी,
जन के काज विलंब ना कीजो,
आन के नाथ महा सुख दीजो,
जो जड चेतन हे जग माहि,
तुम्हरी दृष्टी छुपत कोहु नाही,
दृष्टी दया कर मोही उबारो,
रवि तनय मम संकट तारो,
जोपै गुपित होउ तुम देवा,
सुख शांति भस्मी कर देवा,
जापे वर प्रद कर धर देहु,
ताहि सुखी सपन्न करे हूँ...

जयति जयति जय हे शनि देवा,
तीनो लोक हो तेरी सेवा,
तुम्हरे कोप जगत भर माया,
सूर्य पुत्र तुम माता छाया,
रूप भयानक अति भयंकर,
ध्यावे ब्रम्हा विष्णु शंकर,
विष स्वरूप अति विद्रूपा,
पूजित लोक हे नवग्रह भूपा...

जय शनि देव जयति बल सागर,
सुर समूह समर्थ भटनागर,
शाम वसन तन सोहत स्वामी,
हे छाया सूत नमो नमामी,
धर्मरक्षा को स्वामी धावो,
ब्रजगदहनु विलंब ना लागो,
गदा वज्र लैवेरही मारो,
दिन जनन को नाथ उबारो...

दिर्घ दिर्घ तर गात विशाला,
नाहीकोउ बैर बाँधनेवाला,
देवदनुज सब कहे भयकारी,
तुम बिन कोई कलेश ना तारी,
ग्रहपीड़ा हरना रविनंदन,
शनि देव तुम शत शत वंदन,
पूजा जप तप लेम अचारा,
नाही जानत हो दास तुम्हारा...

वन उपवन मघ गिरि ग्रह माही,
तुम्हरे बल हम डरपत नाही,
पाय परो करी जोर मनाउ,
ध्यान तेरा शनी देव लगाउ,
सूर्यपुत्र हे ये यम के भ्रांता,
सुख दुःख हारी भाग्य विधाता,
तासों विनय करो तोहि पाहीं,
तोरी कृपा कछु दुर्लभ नाही...

रवि तनय मोहे शांति दीजै,
विपदा मोरि सकल हरी लीजै,
हे ग्रहराज रोग चिंता हर,
छाया पुत्र कृपा होपे पर,
तुम बिन मोर ना कोहु सहाया,
शनि देव तोरी शरण में आया,
जय जय जय धुनि होत आकासा,
सुमरथ होय दुसह दुःख नासा...

चरण पकड़ तोहि नाथ मनाउ,
छोड़ शरण तोरी अब कित जाउ,
आप से बिनती करू पुकारी,
हरहु सकल दुःख विपत हमारी,
आसो प्रभु प्रभाव तिहारो,
क्षण में कटे दुःख स्वामी मारो,
जयति जयति जय शिव के प्यारे,
जयति जयति जय छाया दुलारे...

जयति जयति जय मंगल दाता,
जयति जयति जय भाग्यविधाता,
जयति जयति त्रिभुवन विख्याता,
जयति जय पाप पुण्य फल दाता...


--गायक : कुमार  विशू
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                           (साभार आणि सौजन्य-शनिदेव हिंदी भजन)
                                      (संदर्भ-भक्तिगाने.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-26.03.2022-शनिवार.