वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-24-धूप बारिश की बरकतें मांगे

Started by Atul Kaviraje, August 16, 2022, 01:47:30 AM

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Atul Kaviraje

                                     "वर्षा ऋतु कविता"
                                       कविता-पुष्प-24
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                "धूप बारिश की बरकतें मांगे"
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‎धूप बारिश की बरकतें माँगे
रहमतों की रिवायतें माँगे

ख़्वाब करने को खिल्वतें माँगे
अहदे माज़ी की बरकतें माँगे

गर्म रातों से राहतें माँगे
शहर किस से खुली छतें माँगे

आँख आईना सूरतें माँगे
हैरतों जैसी हैरतें माँगे

देखिए तो सदा के सहरा से
कान क़ुरआँ की किरअतें माँगे

क़द्र के साथ घटते क़द हम से
ऊँची ऊँची इमारतें माँगे

--शीन काफ़ निज़ाम
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                                  (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                       (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-16.08.2022-मंगळवार.