वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-25-नींद में बारिश

Started by Atul Kaviraje, August 17, 2022, 01:31:54 AM

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Atul Kaviraje

                                     "वर्षा ऋतु कविता"
                                      कविता-पुष्प-25
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                       "नींद में बारिश"
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नींद में
सबके सो जाने पर
होती है बारिश
अकेले ही भीगते हैं
नदी नाव और टापू
रात की खोह में
दलदल है
इत्र का
बारिश के झिरमिर सन्नाटे में
जो एकदम से महक उठता है
शिरीष खिलता है
उनींदी बारिशों में
भीग कर आयी हवाएँ
घुस आती हैं
कोरे लिहाफ़ के भीतर
चौंक कर ताकता है
गरदन उठाए
एक बगूला
किसी गली से झाँकता है चोर

इच्छाएँ
पैदा करके मुझे
मेरा ही
शिकार करती हैं।

गाथाएँ अन्तर्दहन की
चुपचाप भीगती हैं
गीले-गीले ही
जल रहे हैं पत्ते

भीगी हुई
रात के पिछवाड़े में
जले पत्ते
आग की कहानी कहते हैं

--तुषार धवल
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                                 (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                      (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-17.08.2022-बुधवार.