वर्षा ऋतु कविता-कविता-पुष्प-36-बरखा रानी

Started by Atul Kaviraje, August 28, 2022, 01:23:09 AM

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Atul Kaviraje

                                     "वर्षा ऋतु कविता"
                                      कविता-पुष्प-36
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मित्रो,

     आईए मित्रो, सुनते है, पढते है, इस मन-भावन वर्षा ऋतू की कुछ सर्वोत्तम रचनाये. कविता-कोश आपके लिये लाये है, नवं-कवी, श्रेष्ठ कवी, सर्व-श्रेष्ठ कवी, नामचीन-नामांकित, कवी-कवयित्रीयोकी मन-भावन कविताये, रचनाये जिसे पढकर आपका मन आनंद-विभोर हो जायेगा, पुलकित हो जायेगा, उल्हसित हो जायेगा. इन  कविताओकी हल्की, गिली बौछारे आपके तन-मन को भिगो कर एक सुखद आनंद देगी, जो आपको सालो साल याद रहेगी. आईए, तो इन बरसते-तुषारो मे भिग कर कविता का अनोखा आनंद प्राप्त करते है.

                                      "बरखा रानी"
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चाल सुधारा चाल सुधारा
बरखा रानी चाल सुधारा II

कब्बौ झूरा कब्बौ बाढ़
केसे केसे लेईं राढ़
खेतवन से बस दुआ बंदगी
खरिहनवन से भाई चारा॥

सोच समझ के पाठ पढ़ावा
पानी में जिन आग लगावा
कब तक रहबू आसमान पर
तू निचवों तनी निहारा॥

अब जिन बरा धूर में जेंवर
सब बूझत हौ ई खर-सेवर
कवने करनी गया ब‍इठबू
पहिले कुल क पुरखा तारा॥

कब तक अपने मन क करबू
हमरे छाती कोदो दरबू
ताले ताले धूर उड़त हौ
कागज पर तू खना इनारा II

दिनवा रतिया रटै पपीहा
उल्लू भ‍इलै आज मसीहा
कौवा भंजा रहल है मोती
मुँह जोहत है हंस बेचारा॥

फगुन च‍इत में पानी पानी
सावन-भादों में बेइमानी
जेही क कुल छाजन-बाजन
वहिके पतरी खंडा बारा II

--कैलाश गौतम
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                                  (संदर्भ-श्रेणी:वर्षा ऋतु)
                      (साभार एवं सौजन्य-कविताकोश.ऑर्ग/के.के.)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-28.08.2022-रविवार.