हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-8-एक निशानी हूँ मैं

Started by Atul Kaviraje, September 06, 2022, 08:12:56 PM

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Atul Kaviraje

                                     "हिंदी कविता"
                                     पुष्प क्रमांक-8
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-8. इस कविता का शीर्षक है- "एक निशानी हूँ मैं"

                                   "एक निशानी हूँ मैं"
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रख सकों तो एक निशानी हूँ मैं
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं
रोक ना पाए जिसको ये सारी दुनिया
वो एक बूंद आँख का पानी हूँ मैं...

सबको प्यार देने की आदत है हमें
अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है हमें
कितना भी गहरा जख़्म दे कोई
उतना ही ज्यादा मुस्कुरानें की आदत है हमें..

इस अजनबी दुनिया में अकेला ख़्वाब हूँ मैं
सवालों से खफा छोटा सा जवाब हूँ मैं
जो समझ ना सके मुझे उनके लिए कौन
जो समझ गए उनके लिए खुली किताब हूँ मैं..

आँख से देखोगे तो खुश पाओगे
दिल से पूछोगे तो दर्द का सैलाब हूँ मैं
अगर रख सकों तो एक निशानी हूं मैं
खो दो तो सिर्फ एक कहानी हूँ मैं...
😇🌹✍️

--AUTHOR UNKNOWN
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.09.2022-मंगळवार.