निबंध-क्रमांक-8-इक्कीसवीं सदी का भारत

Started by Atul Kaviraje, September 06, 2022, 08:15:10 PM

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Atul Kaviraje

                                        "निबंध"
                                       क्रमांक-8
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है-"इक्कीसवीं सदी का भारत"

     इक्कीसवीं  सदी  का  भारत जहाँ  इन  क्षेत्रों  में  उन्नति  प्राप्त  कर  रहा  हैं,  वही   कुछ  क्षेत्र  ऐसे  हैं,  जिनकी  तरक्की  अभी   बाकी  हैं,  जिनकी  परिस्थितियों  में  सुधार  की  आवश्यकता  शेष  हैं,  उनमे  से  कुछ  क्षेत्र  अग्र – लिखित  हैं -:

                      बेरोजगारी :--

     आज हमारे  देश  को  युवा – शक्ति  के  मामले  में  विश्व  का  सबसे  समृध्द  राष्ट्र  माना  जाता  हैं,  परन्तु  रोजगार  के  अभाव  में  यह  शक्ति  व्यर्थ  हो  रही  हैं  और  इसी  कारण  हमारे  देश  की  कई  प्रतिभाये  विदेशों  में  स्वयं  को  साबित  करके  रोजगार  प्राप्त  कर  रही  हैं,  जिसमे  देश  का  ही  नुकसान  हैं.  देश  के  युवा  दिशा – हीन  होकर  अपराध  के  मार्ग  पर  बढ़  रहे  हैं.  हमारे  देश  में  हमे  रोजगार  के  अनेक  अवसरों  की  आवश्यकता  हैं.  यदि  हम  बेरोजगारी की समस्या  से  छुटकारा  पा  ले  तो  कई  समस्याए  स्वयं  ही  समाप्त  हो  जाएगी.

                      गरीबी :--

     हमारे देश  में  दुर्भाग्य  की  बात  यह  हैं  कि  अमीर  और  अमीर  तथा  गरीब  और  गरीब  होता  जा  रहा  हैं.  इस  कारण  देश  पूर्ण  रूप  से  विकसित  नहीं  हो  पा  रहा  और  अभी   तक  विकासशील  देशों  की  गिनती  में  गिना  जाता  हैं.  इसका  कारण  कही  न  कही  स्विस  बैंकों  में  रखा  काला  धन  भी  हैं,  यदि  इसे  देश  में  लाये  जाने  के  प्रयास  सफल  हो,  तो  यह  समस्या  काफी  हद  तक  हल  हो  सकती   हैं.

                      जनसंख्या :--

     हमारे देश  की  जनसंख्या  बहुत  ही  तेज  गति  से  बढ़  रही  हैं,  जिसके  कारण  हम  लागू  योजनाओं  का  उचित  प्रकार  से  लाभ  नहीं  उठा  पाते  और  सरकार  भी  इन्हें  व्यापक  रूप  में  सफल  नही  बना  पाती.  हम  भारतीय  आज  125  करोड़  से  भी  अधिक  हैं.  जिसमें  सभी  सुविधाओं  को  बांटना,  सरकार  के  लिए   भी  मुश्किल  हैं.  इस  पर  नियंत्रण  पाना  अत्यंत  आवश्यक  हैं  अन्यथा  हमारी  समस्याओं  की  सीमा  दिन – प्रतिदिन  बढ़ती  ही  जाएगी.

     इन  सब  के  बावजूद  हमे  ' सुपर – पावर ' कहा  जाता  हैं,  इसका  कारण  हैं : आज  दक्षिण  एशिया  में भारत  की  स्थिति  सभी  क्षेत्रों  में अन्य  देशों  की  तुलना  में  सबसे  मजबूत  हैं,  चाहे  वह  क्षेत्र  आर्थिक   हो,  राजनीतिक  क्षेत्र  हो,  सैन्य  बल  की  बात  हो,  सांस्कृतिक  क्षेत्र  की  बात  हो  अथवा  जन – सांख्यिकी  [ Demographic ]  की.  दक्षिण  एशिया  की  जनसंख्या  का  लगभग  77%  हिस्सा  हमारे  देश  का  हैं,  इसकी  जी.डी.पी.  में  हमारा  योगदान  75%  हैं,  77%  भू – भाग  हमारे  क्षेत्रफल  का  हिस्सा  हैं,  इसके  रक्षा  बजट  का  80%  हिस्सा  हमारा  होता  हैं  और  इसके  सैन्य  बल  में  82%  हमारा  सैन्य  बल  शामिल  हैं  और  सबसे  महत्व – पूर्ण  बात –: हम  विश्व  की  सबसे  बड़ी  लोकतांत्रिक  अर्थव्यवस्था  में  से  एक  हैं.,  जिसकी  वर्तमान  जी.डी.पी.  दर  9.2%  हैं,  जो  वैश्विक  अर्थव्यवस्था  में  महत्व- पूर्ण  स्थान  रखती  हैं.  साथ  ही  हमारे  देश  के  अन्य  बड़ी  अर्थव्यवस्था  वाले  राष्ट्रों  के  साथ  समझौते  और  संधियाँ  भी  हैं,  जो  इसे  इक्कीसवीं  सदी  का  सुपर  पावर  बनाने  में  और  विकास  की  ओर  अग्रसर  होने  में  मदद  करती  हैं.   इस  प्रकार  इक्कीसवीं  सदी  के  भारत  का  भविष्य  बहुत  ही  स्वर्णिम  हैं.

--अंकिता
(एप्रिल २६, २०२२)
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             (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन/निबंध-एसे-हिंदी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.09.2022-मंगळवार.