निबंध-क्रमांक-10-ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है व इसके फायदे व नुकसान

Started by Atul Kaviraje, September 08, 2022, 11:24:21 PM

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Atul Kaviraje

                                       "निबंध"
                                     क्रमांक-10
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है-"ग्रीनहाउस प्रभाव क्या है व इसके फायदे व नुकसान"

     ग्रीनहाउस में उपस्थित गैसें ऊष्मा को अवशोषित करती है, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है, और अन्य ग्रहों की तुलना में पृथ्वी पर जीवन संभव हो पाता है. सबसे जरूरी ग्रीनहाउस गैस पानी से उत्पन्न वाष्प है और ग्रीनहाउस प्रभाव में यह बहुत अधिक उपयोगी है. अन्य गैसें जिसमें कार्बन डाई ऑक्साइड, मेंथेन और नाइट्रस ऑक्साइड आदि शामिल है, वो भी ग्रीनहाउस प्रभाव में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, हालाँकि इसके शामिल होने का प्रतिशत बहुत ही कम होता है.

     अगर पृथ्वी पर ग्रीनहाउस प्रभाव नहीं होता तो, पृथ्वी अभी से कहीं ज्यादा ठंडी होती और पृथ्वी का तापमान 18 C होता. पृथ्वी पर जलवायु में गर्माहट बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्यूकी हमारी पृथ्वी के तीन चौथाई भाग पर पानी है और यह पानी बर्फ, तरल और वाष्प तीन रूपों में पृथ्वी पर मौजूद है. पृथ्वी पर मौजूद जल चक्र के कारण पानी एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होता रहता है, और हमें अपने जीवन को नियमित बनाये रखने के लिए पीने योग्य पानी मिलता है.  यह पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

              ग्रीनहाउस गैसों के संदर्भ में जानकारी :--

ग्रीनहाउस गैस का नाम   कार्बनिक नाम   पर्यावरण में इस गैस का प्रतिशत
भाप (Water vapor)    H2O    36-70%
कार्बनडाई ऑक्साइड     CO2   9-26%
मेथेन     CH4   4-9%
नाइट्रस ऑक्साइड (Nitrous oxide)   N2O   3-7%
ओज़ोन      O3   –     
Chlorofluorocarbons     CFCs    –

         ग्रीनहाउस प्रभाव में वृद्धि (Greenhouse effect increase):-- 

     पिछले कुछ वर्षो से विश्व के तापमान में लगातार वृद्धि देखी जा रही है इसका मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैसों की वृद्धि है. इन ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि और पृथ्वी के तापमान में वृद्धि के मुख्य कारण मानव द्वारा निर्मित किए हुये है. मनुष्य ने अपनी सुख सुविधाओ के लिए पेड़ो और वनों को नष्ट करते जा रहा है. जीवाष्म इंधनों का अंधाधुन रूप से प्रयोग हो रहा है, इसके परिणाम स्वरूप पृथ्वी का तापमान अब पहले से 11 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है और कहा जा रहा है सन 2030 तक यह तापमान 5 डिग्री सेल्सियस और बढ़ जायेगा. इसके कई दुष्परिणाम भी हमें देखने मिल रहे है, जैसे रेगिस्तान में बाढ़ का आना, अतिवर्षा वाले क्षेत्रों में वर्षा कि कमी होना तथा ग्लेशियर पर मौजूद बर्फ भी पिघलने लगी है. और यदि आगे भी यह सब ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन भी दूर नहीं जब पृथ्वी अपने विनाश की ओर अग्रसर होगी. कहा जाता है कि अगर पृथ्वी का तापमान इसी तरह बढ़ता रहा तो कई जगह गर्म हवाओ के तूफान उठेंगे तो कही  समुद्र का जलस्तर भी बढ़ जायेगा और निचले हिस्से में मौजूद देश जलमग्न हो जायेंगें. पीने और सिचाई के लिए भी पानी मौजूद नहीं होगा, वन और पेड़ पोधे भी नष्ट होने लगेंगे. इसलिए आज जरूरत है कि हम बढ़ते हुये प्रदूषण को नियंत्रित करे और अपनी पृथ्वी के अस्तित्व को खोने से बचाये.   

--स्नेहा   
(ऑगस्ट २४, २०२२)
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन/निबंध-एसे-हिंदी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-08.09.2022-गुरुवार.