निबंध-क्रमांक-17-सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) के महत्व

Started by Atul Kaviraje, September 15, 2022, 12:10:08 PM

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Atul Kaviraje

                                         "निबंध"
                                       क्रमांक-17
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है-"सौर ऊर्जा (सोलर एनर्जी) का महत्व "

                      saur urja--

                सौर उर्जा क्या है (What is solar energy) :--

     सामान्य  भाषा  में  सौर  ऊर्जा  से  तात्पर्य  सूर्य  से  प्राप्त  होने  वाली  ऊर्जा  से  हैं.  सूर्य  की  किरणों  को  एक  बिंदु  पर  एकत्रित  करके  जब  ऊर्जा  उत्पन्न  की  जाती  हैं,  तो  ये  प्रक्रिया  सौर  ऊर्जा  उत्पादन कहलाती  हैं.  सौर  ऊर्जा  अर्थात्  सूर्य  की  किरणों  को  विद्युत  में  बदलना,  चाहे  वह  पी.  वी.  [ Photovoltaic ]  द्वारा  प्रत्यक्ष  रूप  से  हो  या  सी.  एस.  पी. [ Concentrated  Solar  Power ]  द्वारा  अप्रत्यक्ष  रूप  से. सी.  एस.  पी. में  सौर  ऊर्जा  उत्पन्न  करने  हेतु   लेंस  अथवा  दर्पणों  और  ट्रेकिंग  उपकरणों  का  उपयोग  किया  जाता  हैं  और  सूर्य  प्रकाश  के  एक  बहुत  बड़े  भाग  को  एक  छोटी  सी  किरण   पर  एकत्रित  किया  जाता  हैं.  सोलर पॉवर प्लांट  इसी  तरह  कार्य  करते  हैं.

     भारत  एक  उष्ण – कटिबंधीय  देश  हैं,  जिसके  अनेक  लाभों  में  से  एक  लाभ  हमे  सूर्य  प्रकाश  के  रूप  में  भी  प्राप्त  होता  हैं.  उष्ण – कटिबंधीय  देश  होने  के  कारण  हमारे  यहाँ  वर्ष  भर  सौर  विकिरण  प्राप्त  की  जाती  हैं,  जिसमें  सूर्य  प्रकाश  के  लगभग  3000  घंटे  शामिल  हैं,  जो  कि  5000  ट्रिलियन  kWh  के  बराबर  हैं.  भारत  के  लगभग  सारे  क्षेत्रों  में  4 – 7 kWh  प्रति  वर्ग – मीटर  के  बराबर  हैं,  जो   कि  2300 – 3200  सूर्य  प्रकाश   के  घंटे  प्रति  वर्ष  के  बराबर  हैं. चूँकि  भारत  की  अधिकांश  जनता  ग्रामीण क्षेत्र  में  निवास  करती  हैं ,  अतः  वहाँ  सौर  ऊर्जा  की  उपयोगिता  बहुत  हैं.  साथ  ही  विकास  की  भी  संभावनाएँ  हैं  और  अगर  सौर  ऊर्जा  का  उपयोग  प्रारंभ  होता  हैं,  तो  वहाँ  घरेलू  कामों  में  कंडों  एवं  लकड़ियों  का  प्रयोग  होने  में  भी  कमी  आएगी.  जिससे  वायु  प्रदुषण  भी  नहीं  होगा.

     भारत  में  सौर  ऊर्जा  उत्पन्न  करने  के  लिए  विशाल  कार्यक्षेत्र  उपलब्ध  हैं  क्योकिं  भारत  की  भूस्थली  ऐसे  स्थान  पर  हैं,  जहाँ  सूर्य  प्रकाश  पर्याप्त  मात्रा  में  पहुँचता  हैं. पृथ्वी  की  सतह  पर  प्रति  वर्ष  पहुँचने  वाले  सूर्य  प्रकाश  की  मात्रा  अत्याधिक  हैं.  पृथ्वी  पर  अनेक  अनविनीकरणीय  पदार्थों,  जैसेः  कोयले,  तेल,  प्राकृतिक  गैस  एवं  अन्य  खनन  द्वारा  प्राप्त  यूरेनियम  पदार्थों   का  एक  वर्ष  में  जितना  उपभोग  होता  हैं,  उसके  दोगुने  से  भी  ज्यादा  हर  वर्ष  सूर्य  प्रकाश  धरती  पर  पहुंचता  हैं  और  व्यर्थ  हो  जाता  हैं.

--अंकिता 
(मे २१, २०२२)
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             (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन/निबंध-एसे-हिंदी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.09.2022-गुरुवार.