खस्ता शेर-खुदा खैर-कविता-निकला होगा चान्द ...

Started by Atul Kaviraje, September 21, 2022, 09:35:38 PM

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Atul Kaviraje

                                   "खस्ता शेर-खुदा खैर"
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मित्रो,

     आज पढते है, "खस्ता शेर-खुदा खैर" इस ब्लॉग की एक कविता . इस कविताका शीर्षक है-"निकला होगा चान्द ..."

                                  निकला होगा चान्द ...
    डॉ. राही मासूम रज़ा से क्षमा याचना सहित, आपकी खिदमत में अर्ज़ किया है:--

हम सोबर* परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

हिन्दी कैद में बैठी रोवे, टूटे अंग्रेज़ी की टांग॥
हम सोबर परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

नेता मंच सजाकर बैठे, करते नूतन स्वांग॥
हम सोबर परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

रिश्वत बाबू धरना देते, पूरी कर दो मांग॥
हम सोबर परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

सत्यमेव जी दाब दिये हैं धर मिट्टी की ढांग॥
हम सोबर परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

मुर्गे कट के छिले तल गये, उल्लू देते बांग॥
हम सोबर परदेस में, देस में घुटती होगी भांग।। हो ओ ओ...

--Smart Indian
(मंगलवार, 14 दिसंबर 2010)
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                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-खस्ता शेर.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-21.09.2022-बुधवार.