निबंध-क्रमांक-32-उद्योगों पर कोरोना का कहर पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, September 30, 2022, 09:21:19 PM

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Atul Kaviraje

                                       "निबंध"
                                     क्रमांक-32
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है-"उद्योगों पर कोरोना का कहर पर निबंध"

                       उद्योगों पर कोरोना का कहर पर निबंध--
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     उत्पादों के वितरण और ट्रांसपोर्टेशन में परेशानी आ रही है।  दो महीने के लगातार  लॉकडाउन के कारण।  उद्योगों की सप्लाई चैन टूट गयी। अब अनलॉक प्रक्रिया के मुताबिक , फ़ैक्टरियाँ धीरे -धीरे खुल रही है। पहले जहां उद्योगों में  मज़दूरों को पंद्रह हज़ार रूपए मिलते थे , अभी वहां मुश्किल से आठ हज़ार रूपए मिलते है। कोरोना स्थिति से निकलने में थोड़ा वक़्त लगेगा। बाजार में चीज़ो की मांग कम हुयी है। छोटे और लघु उद्योगों के पेमेंट्स काफी देर से हो रही है।

     बैंक क़र्ज़ नहीं दे रहा है , जिसकी वजह से परेशानी बहुत बढ़ रही है। सप्लाई चैन बेहद कमज़ोर हुयी है। इसमें msme  के निवेश भी फंसे हुए है। कोरोना वायरस के कारण 60  प्रतिशत तक उत्पादन नीचे गिर गया है। फैक्ट्रियों को चलने के लिए कच्चा माल रोज़ चाहिए। कच्चे माल को खरीदने के लिए पैसा चाहिए और क्लाइंट भाड़ धीमे गति से भुगतान कर रहे है। मज़दूरों के काम ठप हो गए है जिसके कारण वह अपने गाँव जाकर छोटे मोटे रोजगार कर रहे है।

     उत्तराखंड के कुछ उद्योग अपने कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर है।  वहां तीन गुना अधिक दामों पर कच्चे माल बिक रहे है। उद्योगपतियों का कहना है , अगर कच्चेमाल की कीमतों में वृद्धि होगी तो उत्पादों की कीमत भी बढ़ जायेगी। कोरोना वायरस के कारण मोबाइल की GST भी बढ़ सकती है।

     खिलौने, विद्युत उपकरण, किचन का सामान, सजावटी वस्तुएं, मोटर वाहनों के प्लास्टिक पार्ट्स,  आदि भी चीन से आती थी। उत्तराखंड के कई उद्योग अभी बंद पड़ गए है और सीमा विवाद के कारण , अब चीन के साथ अधिकतर व्यापार बंद पड़ गए है।

     पर्यटन ,हस्तशिल्प , उत्पाद और केमिकल फैक्ट्रियों में मंडी के भयानक और गंभीर असर दिखेंगे। उत्तराखंड के उद्योगों पर भी कोरोना का भीषण असर पड़ा है। लॉकडाउन जब शुरू हुआ था, देश की सीमाओं को बंद कर दिया गया जिसके कारण आयत -निर्यात पर बुरा प्रभाव पड़ा।  पड़ोसी देशो से कच्चे माल की आपूर्ति सम्पूर्ण रूप से बंद हो गयी।  इसके साथ ही उत्पादों का निर्यात भी बंद हो गया। हालांकि उम्मीद है वित् मंत्रालय और भारतीय रिज़र्व बैंक , उद्योगों को संकटकालीन परिस्थिति से निकालने के लिए कर्ज़ा थोड़ा सस्ता करेगी।

     लॉकडाउन के बाद मशीने कुछ ज़्यादा चल रही है और मज़दूरों की संख्या ज़्यादा थी , लेकिन स्थिति जुलाई में सामान्य नहीं हो पायी है। देश के हर राज्य की स्थिति अलग है , कहीं लॉकडाउन रिस्ट्रिक्टेड है , कहीं उद्योग खुल रहे है। अगर प्रोडक्ट का एक पार्ट भी नहीं मिला तो सप्लाई चैन अधूरा रहता है।  इससे प्रोडक्शन पर असर पड़ रहा है। पेमेंट भी नहीं मिल रहा है , जिससे लघु और मध्यम उद्योग बुरी तरीके से परेशान है।

                      निष्कर्ष--

     कोरोना वायरस से बुरी तरीके से  प्रभावित दुनिया की 15 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत भी है। कोरोना वायरस ने कई व्यापारों को प्रभावित किया, जिसने अधिकतर दुकानदारों को हताश कर दिया है। इससे देश और साधारण लोगो  को काफी नुकसान उठाना पड़ा है । उम्मीद है ,  राज्य और केंद्र सरकार जल्द अपनी योजनाओ के तहत आर्थिक हालत में सुधार करने की कोशिशे करेंगे । आनेवाले कुछ महीने कठिन होंगे , लेकिन ज़रूरत है हम अपने हौसलों को टूटने ना दे।

--👩Rima Bose
(17 September 2020)
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी-एसे.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.09.2022-शुक्रवार.