अल्प विराम-कविता-वह एक फूल--

Started by Atul Kaviraje, October 05, 2022, 10:02:32 PM

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Atul Kaviraje

                                      "अल्प विराम"
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मित्रो,

     आज पढते है, दीपशिखा इनके "अल्प विराम" इस कविता ब्लॉग की एक कविता . इस कविता का शीर्षक है- "वह एक फूल"

                                      वह एक फूल--
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वह एक फूल
खिला कहीं किसी चमन में
एक फूल सुन्दर
अनुपम थी उसकी आभा
विस्मयी थी उसकी रंगत

इतना सुगंधित कि
हर मन हर्षा जाता
अपने गुणों से
वह प्रकर्ति का उपहार था
कहलाता

ज्यों ज्यों समय बीता
वह पुष्प और महका
अपने सौन्दर्य से
उस बगिया का
केन्द्र बन बैठा

तभी एक रात
भयानक तूफान आया
अपने बल से जिसने
चट्टानों को भी सरकाया
तूफान के जोर को
वह फूल भी न सह पाया
पलक झपकते ही
धूल में जा समाया

मन चमन के दुर्भाग्य पर
पछताया
क्यों इतना सुन्दर कुसुम
वह न सम्भाल पाया
काल के जोर को
कोई
क्यूँ न थाम पाया

तभी चमन ने
अपनी महक से
जीवन का अर्थ समझाया
कुछ पल ही सही
उस कुसुम ने
चमन को महकाया
जब तक जिया
सभी के मन को लुभाया
अल्प ही सही
उसका जीवन सच्चा जीवन कहलाया

--दीपशिखा
(Thursday, November 10, 2005)
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपशिखा 70.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.10.2022-बुधवार.