हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-44-भुला न सकोगे तुम हमें

Started by Atul Kaviraje, October 12, 2022, 09:13:25 PM

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Atul Kaviraje

                                    "हिंदी कविता"
                                   पुष्प क्रमांक-44
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-44. इस कविता का शीर्षक है- "भुला न सकोगे तुम हमें"

(इश्क़ मोहब्बत में बिछड़ने पर होने वाले दर्द अनुभवों की व्याख्या करती एक एक बेहतरीन कविता।)
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                                "भुला न सकोगे तुम हमें"
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कभी जो बैठोगे तुम सोचने तो
आयेगा मेरा ख्याल भी
मिलने की थी ख़ुशी बहुत,
अब बिछड़ने का होगा मलाल भी

क्यों छोड़ा तुमने साथ मेरा,
क्यूं बदलीं तुमने मंज़िलें
ढूँढोगे तुम जवाब खुद,
तुम करोगे खुद ही सवाल भी

भुला न सकोगे तुम हमें,
याद आयेंगे तुम को उम्र भर
कभी याद दिलाएगी बहार भी,
कभी शब-ए-ग़म का हिलाल भी

कभी रहोगे तुम उदास बोहत,
बेसकूंन भी, बेचैन भी
याद करोगे मुस्कराके हमें,
कभी दोगे जेहन से निकाल भी

कभी देखोगे हसीन पल में,
कभी देखोगे मुझे ख्वाब में
कभी डगमगाएगी कश्ती-ए-दिल,
कभी लोगे सम्भाल भी

दिल को रहे 'नाज' शिकायतें,
अधूरी अनकही हिकायतें
मिलके क्या था उनसे हादसा,
अब बिछड़ के क्या है कमाल भी

               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-12.10.2022-बुधवार.