निबंध-क्रमांक-45-मैं कौन हूँ पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, October 13, 2022, 09:07:40 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                      "निबंध"
                                    क्रमांक-45
                                   -----------

मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है-"मैं कौन हूँ पर निबंध"

             मैं कौन हूँ पर निबंध (WHO AM I ESSAY IN HINDI)--
            ---------------------------------------------------

     मैं एकमात्र व्यक्ति हूं जो पूरी तरह से अपने आप को जानता हूं। हालांकि जब भी लोग मुझसे अपने बारे में कुछ बताने के लिए कहते हैं तो मैं अक्सर उलझन में पड़ जाता हूँ। मैं ज्यादातर समय यह सोच कर घबरा जाता हूँ कि मुझे कहना क्या है। बहुत से लोग इस परेशानी का अनुभव करते हैं और यह अक्सर बहुत शर्मनाक होता है जबकि हम खुद को अच्छी तरह जानते हैं। हमें पता होना चाहिए कि कैसे खुद को परिभाषित करना है। क्या आपके साथ ऐसा हुआ है कि एक साक्षात्कार के दौरान आपको अपने बारे में कुछ पंक्तियां बोलने के लिए कहा गया हो और आप चुप-चाप गूंगे की तरह बैठे रहे? जीं हा, ज्यादातर लोग इस समस्या का सामना करते हैं। क्या यह विडंबना नहीं है कि हम खुद को परिभाषित करने में सक्षम नहीं हैं?

                       प्रस्तावना--

     लोग मुझे अलग-अलग नामों से बुलाते हैं - कुछ मुझे अंतर्मुखी कहते हैं, कुछ मुझे प्यारा कहते हैं, कुछ मुझे गुस्सैल कहते हैं जबकि कुछ कहते हैं कि मैं अपने आप में रहता हूं। लोगों को दूसरों के बारे में बात करने की आदत होती है। वे न्याय करने और दूसरों के बारे में बातें फ़ैलाने के लिए तत्पर रहते हैं। मुझे लगता है कि किसी के भी बारे में बातें फ़ैलाना गलत है। हम इंसान हैं और हम हर दिन कई भावनाओं का अनुभव करते हैं। मैं हर दिन विभिन्न भावनाओं का मिश्रण भी अनुभव करता हूं और मुझे किसी भी पूर्वोक्त नामों से बुलाना गलत होगा।

                    मेरी प्रकृति और लक्षण--

     मैं एक समझदार प्रवृत्ति का व्यक्ति हूं जो जीवन के हर पल का आनंद लेता है। मैं अपने रिश्तेदारों, पड़ोसियों या अन्य लोगों के जीवन में हस्तक्षेप करना पसंद नहीं करता और उनसे भी यही उम्मीद करता हूं। मैं चाहता हूं कि वे अपने दूसरों के कामों में टांग अड़ाने की बजाए अपने स्वयं के कामों में व्यस्त रहे। लोग अक्सर मेरे इसी शांत स्वभाव को गलत समझ बैठते हैं और समझते हैं कि मैं अभिमानी और बिगड़ैल हूँ। उन्हें लगता है कि मेरा रवैया गलत है और मैं खुद को उनसे बेहतर समझता हूं। पर यह सच नहीं है। मैं नहीं चाहता हूं कि लोग मुझे तंग या परेशान करें क्योंकि मैं ऐसा इंसान हूँ जो हमेशा मदद के लिए तैयार रहता हूं। अगर लोगों को वास्तव में मेरी मदद की आवश्यकता होती है तो मैं लोगों की मदद करने के लिए कुछ भी करने में संकोच नहीं करता।

     मैं भी काफी अनुशासित हूँ। हर सुबह जाग कर मैं सूची तैयार करता हूं कि मुझे क्या-क्या करना है। मैं उसी क्रम में कार्य करना चाहता हूं जो मैंने तैयार किया है और समय सीमा के भीतर करना चाहता हूँ जो मैंने अपने लिए निर्धारित किया है तथा इसे पूरा करने की अपनी पूरी कोशिश करता हूं। समय पर इन कार्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं होने से मुझे असंतुष्टता हो सकती है और मुझे गुस्सा भी आ सकता है।

                       निष्कर्ष--

     मेरे दोस्त अक्सर मुझे शांत, चिंतामुक्त और अनुशासन का एक अनूठा संयोजन कहते हैं। मुझे ईश्वर से हमेशा समर्थन करने वाला परिवार तथा पागल और मज़ेदार दोस्तों के एक समूह का आशीष मिला है। मैं इतने अच्छे जीवन को मुझे वरदान में देने के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करता हूं।

--AUTHOR UNKNOWN
-------------------------
(JANUARY 30, 2018)
-----------------------

                   (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी की दुनिया.कॉम)
                  -------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-13.10.2022-गुरुवार.