हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-62-बड़े होकर भाई बहन कितने दूर हो जाते हैं

Started by Atul Kaviraje, October 30, 2022, 09:37:41 PM

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Atul Kaviraje

                                   "हिंदी कविता"
                                  पुष्प क्रमांक-62
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-62. इस कविता का शीर्षक है- "बड़े होकर भाई बहन कितने दूर हो जाते हैं"

(Bhai Behan par Hindi Kavita – बड़े होकर भाई बहन कितने दूर हो जाते हैं)
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                        "बड़े होकर भाई बहन कितने दूर हो जाते हैं"
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बड़े होकर भाई बहन कितने दूर हो जाते हैं |
इतने व्यस्त हैं सभीं, कि मिलने से मज़बूर हो जाते हैं|

एक दिन भी जिनके बिना नहीं रह सकते थे हम,
सब ज़िन्दगी मे अपने, मसरूफ हो जाते हैं |
छोटी-छोटी बात बताए बिना हम रह नही पाते थे |
अब बड़े-बड़े मुश्किलो से हम अकेले जूझते जाते हैं।

ऐसा भी नही की उनकी एहमियत नही हैं कोई,
पर अपनी तकलीफ़े जाने क्यूँ उनसे छिपाते हैं
रिश्ते नए, ज़िन्दगी से जुड़ते चले जाते हैं,
और बचपन के ये रिश्ते कहीं दूर हो जाते है
खेल खेल मे रूठना मनाना रोज़ रोज़ की बात थी
अब छोटी सी गलतफैमी दिलो को दूर कर जाती हैं।

सब अपनी उलझनो मे उलझ कर रह जाते हैं|
कैसे बताए उन्हे हम, वो हमे कितना याँद आते हैं।
वो जिन्हे एक पल भी हम भूल नही पाते हैं ।।

--AUTHOR UNKNOWN
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-30.10.2022-रविवार.