यूरेका-और दर्पण टूटने से बच गया … (लघुकथा)

Started by Atul Kaviraje, October 31, 2022, 10:35:04 PM

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Atul Kaviraje

                                       "यूरेका"
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मित्रो,

     आज पढते है, एम.वर्मा, इनके "यूरेका" इस ब्लॉग का एक लेख. इस लेख का शीर्षक है- "और दर्पण टूटने से बच गया ... (लघुकथा)"

                      और दर्पण टूटने से बच गया ... (लघुकथा)--
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     वह दर्पण के सामने खड़ी हो गयी और बोली, "बता दर्पण ! मेरी ख़ूबसूरती के बारे में बता'"

     दर्पण ने उसे निहारा और बोला, "आपसे भी खूबसूरत लोग हैं इस नगर में"

     उसे गहन संताप हुआ और उसने क्रोधित होकर एक पत्थर उठा लिया और बोली, "बता दर्पण ! अब तूं मेरी ख़ूबसूरती के बारे में बता'"

     दर्पण ने पत्थर देख लिया था, जोर से कहा, "आप बहुत खूबसूरत हैं" फिर धीरे से बोला "पर आपसे भी खूबसूरत लोग हैं इस नगर में"

     वह प्रथम वाक्य सुनकर इतना विह्वल हुई की द्वितीय वाक्य को सुनी ही नही. और बेचारा दर्पण झूठ बोलने और टूटने से बच गया.

--एम.वर्मा 
(SUNDAY, JULY 1, 2012)
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                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फूल-कांटे.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-31.10.2022-सोमवार.