द आर्ट ऑफ लिविंग-art of living-गुरुजी श्री श्री रविशंकर जी

Started by Atul Kaviraje, October 31, 2022, 10:39:36 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                          "द आर्ट ऑफ लिविंग-art of living"
                         ----------------------------------

मित्रो,

     आज पढते है, "गुरुजी श्री श्री रविशंकर जी" को पूछे हुए चंद सवाल और उन्होने दिये हुए जवाब--

--प्रश्न : जो कुछ भी आज तक मैने आप से पाया है, उसके लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद। मुझे पता है कि आप चौबीस घंटे उपलब्ध है! मदद मांगने में शर्म आ रही है। जब किसी के परिवार में किसी का देहान्त हो जाये तो आप उस व्यक्ति की मदद कैसे कर सकते हैं कि वो शांति से जी सके और आप भी शांति की अनुभूति करें? धन्यवाद गुरुजी।

--श्री श्री : किसी के प्रियजन का देहान्त हुआ है और आप सांतवना देना चाहते है तो मौन रहें। ज़्यादा शब्दों का यहां कोई अर्थ नहीं होता। कोई दुखी है तो आप उनके साथ रहें। अपने दिल में शांति की अनुभूति करें। आप शांत होंगे तो वो भी शांति महसूस करेंगे, आराम महसूस करेंगे। जब आप शांत होते हैं तो आपसे शांति प्रसारित होती है, और उससे वे भी भीतर की शांति महसूस करेंगे। आपको ये कहने की ज़रूरत नहीं है, "ओह! बेचारा। ये तुम्हारे साथ क्या हो गया! ऐसा नहीं होना चाहिये था।" ऐसी बातें करने से ना आपको मदद मिलेगी ना ही उनको। आप सिर्फ़ उनके साथ रहें और कहें, "ईश्वर आपको शक्ति देंगे"। आप को इतना ही करना चाहिये। या जो व्यक्ति गुज़र गया है, उसका नाम लेकर कहें कि वो आपको शक्ति देगा इस मुश्किल समय से गुज़रने के लिये। एक दो शब्द कहना काफ़ी है। ज़्यादा बात ना करें, सिर्फ़ उनके साथ रहें। आपका कुछ क्षण का साथ उनकी मदद करेगा। ठीक है?

--प्रश्न : हम दुनिया को कैसे सिखा सकते हैं कि दुनिया में सबके लिये बहुत भोजन है, बहुत प्यार है? हमें कमी के भय के कारण लालची नहीं होना चाहिये।

--श्री श्री : इसके लिये हमें आध्यात्म को फैलाना होगा। लोगों को आध्यात्म का महत्व मह्सूस कराना होगा। लोगों को ध्यान करना होगा। सिर्फ़ ध्यान से ही वो भीतर की अमीरी, भीतर की पूर्णता जान पायेंगे। आप जो भी भीतर महसूस करते हैं वही बाहर आता है। अगर आपके भीतर भय है तो आप बाहर भी भयभीत दिखेंगे। अपने भीतर कमी, गरीबी महसूस करेंगे तो बाहर भी वही पायेंगे। प्रचुरता का अहसास भीतर से लाना है। इसके लिये ध्यान करना होगा।

--प्रश्न : जब गुरु पर संदेह हो तो क्या करें? इस संदेह से ऊपर कैसे उठें? संदेह को जगने से रोकें कैसे?

--श्री श्री : आपको पता है कि आपका संदेह हमेशा अच्छी बात पर होता है? आप सच पर संदेह करते हो, झूठ पर कभी संदेह नहीं करते। आप खुशी पर संदेह करते हैं, अवसाद(depression) पर नहीं। अगर आप अवसाद में हो, और आपसे कोई पूछे, "क्या आप अवसाद में हो?" आपको विश्वास होता है कि आप दुखी हो। आप ये नहीं कहते, "शायद।" जब आप खुश होते हैं तो कहते हैं, "मुझे पक्का पता नहीं है कि मैं खुश हूं या नहीं।" हम प्रेम पर संदेह करते हैं। जब कोई कहता है, "मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं।" तो आप कहते हैं, "सच?" अगर कोई कहे, "मैं तुमसे नफ़रत करता हूं।" आप कभी नहीं पूछते, "सच?" हमारा संदेह हमेशा किसी सकरात्मक बात पर होता है। संदेह तो आते हैं, जाते हैं। और संदेह करो। मैं नहीं कहूंगा कि संदेह मत करो। जितना ज़्यादा हो सके, संदेह करो। मैं आपको बताता हूं, संदेह अपने आप छूट जाता है। संदेह टिक नहीं सकता। एक गुरु तो शिष्य को संदेह करने के लिये प्रोत्साहित करेगा। गुरु संदेह को नहीं मिटायेगा। गुरु का काम है संदेह को बढ़ाना ताकि आप खूब पक जाओ और एकदम ठोस हो जाओ। क्योंकि, आज नहीं तो कल आपको संदेह होगा ही। तो बेहतर है कि आज ही संदेह कर लो। जितना हो सके संदेह करो। एक ही संदेह बार बार नहीं आता। अलग अलग संदेह उठते हैं। जब संदेह आये तो उससे कतराओ नहीं। उसके साथ रहो। एक समय आयेगा जब आप बिलकुल ठोस हो जाओगे। इससे आप पहले से ज़्यादा मज़बूत, शक्तिवान, केन्द्रित और ज़िम्मेदार बनोगे। मैं कहूंगा, गुरु के बारे में संदेह हुआ है, आने दो। उस संदेह के साथ पको। संदेह एक ऐसा ईधन है जो मन को पका सकता है। आप देखोगे कि आप संदेह से ज़्यादा ताकतवर हो। आपका विश्वास, आपका सौंदर्य, आपका सच, किसी भी संदेह से सौ गुना ज़्यादा शक्तिशाली है। विश्वास सूरज के समान है। संदेह बादल के समान है। कितने भी बादल हों, सूरज को ज़्यादा देर तक नहीं ढक सकते। संदेह के बादल आते हैं, जाते हैं। हां, किसी किसी दिन बादल ज़्यादा देर रह सकते हैं। उसे रहने दो। अंततः सूरज फिर चमकेगा।

--गुरुजी श्री श्री रविशंकर जी
-------------------------

   (साभारएवंसौजन्य-wisdomfromsrisriravishankarhindi.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
  ----------------------------------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-31.10.2022-सोमवार.