हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-64-जीने की आरजू दिलाए जा रही है

Started by Atul Kaviraje, November 01, 2022, 08:41:42 PM

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Atul Kaviraje

                                     "हिंदी कविता"
                                    पुष्प क्रमांक-64
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-64. इस कविता का शीर्षक है-  "जीने की आरजू दिलाए जा रही है"

(Best Hindi Poetry On Life – जीने की आरजू दिलाए जा रही है.)
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                           "जीने की आरजू दिलाए जा रही है"
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!! ज़िन्दगी !!

दौड़ने की बात तो दूर अभी तो चलने भी नहीं दिया
फ़िर न जाने क्यूँ अभी से इतना थकाए जा रही है,

फुर्सत में कभी बताया ही नहीं कि क्या गुनाह है मेरा
बिन बताए ही मुझ पर इतने जुल्म बरसाए जा रही है,

रखना चाहती है वो मुझे सबसे दूर बस एक तन्हाई में
फ़िर न जाने क्यूँ दिल के इतने हिस्से बनाए जा रही है,

मानो जैसे गुज़ारनी हैं मुझे इस क़ायनात में सदियां
जो हर एक क़दम पर इतने तजुर्बे सिखाए जा रही है,

लाकर मुझे खड़ा किया एक अनजाने से मोड़ पर
न जाने क्यूँ अब यूँ सबसे रूबरू कराए जा रही है,

खुल कर हंसना शब्द तो रखा ही नहीं मेरे शब्दकोश में
एक मुस्कुराहट के पीछे से हर बार ही रुलाए जा रही है,

मंज़िल भी हुई है रुसवा इरादे भी साथ छोड़ रहे हैं
पर फ़िर भी अभी जीने की आरजू दिलाए जा रही है।।

--AUTHOR UNKNOWN
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.11.2022-मंगळवार.