हिंदी कविता-पुष्प क्रमांक-66-गिर-गिर उठते रहना सीख

Started by Atul Kaviraje, November 03, 2022, 08:52:30 PM

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Atul Kaviraje

                                     "हिंदी कविता"
                                    पुष्प क्रमांक-66
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मित्रो,

     आईए सुनतें है, पढते है, कुछ दिलचस्प रचनाये, कविताये. प्रस्तुत है कविताका पुष्प क्रमांक-66. इस कविता का शीर्षक है- "गिर-गिर उठते रहना सीख"

(Motivational Hindi Poetry – गिर-गिर उठते रहना सीख हिंदी कविता)
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                               "गिर-गिर उठते रहना सीख"
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अच्छा है चुप रहना सीख।
लेकिन सच भी कहना सीख I

झूठ दूर तक कब चलता है।
कड़वा सच भी सहना सीख।

हवा के संग बहता जाता है।
अपने पाँव पर रहना सीख।

दिल पत्थर ही ना बन जाये।
आँसू बन कर बहना सीख।

अगर मर्ज़ से रहना है तो।
किसी के दिल में रहना सीख I

झूठी शान में जीवन खोया।
अब जिल्लत में रहना सीख।

हार जीत सब बेमानी है।
गिर-गिर उठते रहना सीख।।

--AUTHOR UNKNOWN
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-फंकी लाईफ.इन/हिंदी-पोएटरी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-03.11.2022-गुरुवार.