उन्मुक्त उड़ान-कविता-बंधन

Started by Atul Kaviraje, November 12, 2022, 10:10:19 PM

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Atul Kaviraje

                                   "उन्मुक्त उड़ान"
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मित्रो,

     आज पढते है, रिंकी राऊत, इनके "उन्मुक्त उड़ान" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "बंधन"

                                         बंधन--
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बंधन में बंधी मैं
बंधन,
बेचेनी बढता है ,
साथ होना अच्छा तो है, पर
मेरे तन्हाई की साधना में कही
विघ्न सा पड़ जाता है

बंधन जो देखते नहीं
उनकी उम्मीद मुझसे बहुत है
बिना लिखे नियम की फ़िखर
दुनिया को ज्यदा है
हर बंधन की कोशिश
होती है जोर से जकड़ कर रखने को
वो जो चाहे मुझे भी अजीज हो
ऐसा कोई बंधन तो नहीं

किसी के साथ मैं पूरी 
किसी की बिन अधूरी
ऐसे किसी बंधन से
मेरी पहचान नहीं

मैं अकेली पूरी हूँ किसी
बंधन की  मोहताज नहीं 

--रिंकी राऊत
(Saturday, December 14, 2013)
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             (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-रिंकी राऊत १३.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-12.11.2022-शनिवार.