ग़म का पहाड़ा-कविता-आज फिर तुमने ....

Started by Atul Kaviraje, November 12, 2022, 10:20:08 PM

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Atul Kaviraje

                                   "ग़म का पहाड़ा"
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मित्रो,

     आज पढते है, "ग़म का पहाड़ा" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "आज फिर तुमने ...."

                                   आज फिर तुमने ....
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आज फिर तुमने वही खता की है
छोड़ी थी कभी जो वो पेश अदा की है

गुस्ताखियाँ ना माफ़ होंगी अब आपकी
बात हमने ये आपको बता दी है

वो उडकर मेरे चेहरे पर आ गिरी
क्योँ तुमने बुझी आग को हवा दी है

नजदीकियां कहीं दूरियों में ना बड जाएँ
फिर ना कहना हमने आपको सजा दी है

रोकता है तुम्हें कहता करने से विंकल
बात उसकी तुमने हँसी  में उड़ा दी है

--AUTHOR UNKNOWN
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(Tuesday, September 22, 2009)
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          (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-vinkalambalewala.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-12.11.2022-शनिवार.