अनकहे किस्से-कविता-महिला सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी

Started by Atul Kaviraje, November 14, 2022, 10:12:26 PM

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Atul Kaviraje

                                     "अनकहे किस्से"
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मित्रो,

     आज पढते है, मिश्राजी, इनके "अनकहे किस्से" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "महिला सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी"

                            महिला सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी--
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महिला सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी, feel safe with us

बचपन में खेले थे जो खेल हमने भी वो छोड़ दिए
लड़का लड़की का फर्क बता के तुमने ही रिश्ते तोड़ दिए

बेटी हो कुछ तो शर्म करो बस लाज तुम्हारा गहना है
ऐसा हमने कहा नही ये घरवालो का ही कहना है

हम तो होतें है निश्छल सब यहीं सिखाया जाता है
नर और नारी में अंतर है ये हमे बताया जाता है

कोमल है नारी पता हमे बनके भाई रक्षा करते हैं
पति कभी और पिता कभी प्यार भी सच्चा करते हैं

ये तो नियम विधाता का कुछ पैदा राक्षस भी होते हैं
रावण मिलता है अगर कभी तो राम कृष्ण भी होते हैं

ज्यादा कुछ कहना नही हमे बस विनती यही हमारी है
थोड़ा सा बस विश्वास रखो क्योंकि दोस्त, बीवी, बहन और माँ
हर रूप में आपकी रक्षा की हमने ली जिम्मेदारी है।।

--मिश्राजी 
(THURSDAY, 30 NOVEMBER 2017)
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-पोएट मिश्राजी.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.11.2022-सोमवार.