नयी उड़ान-कविता-तुम्हारा साथ ...

Started by Atul Kaviraje, November 14, 2022, 10:22:58 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                      "नयी उड़ान"
                                     ------------

मित्रो,

     आज पढते है, "नयी उड़ान" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "तुम्हारा साथ ..."

                                    तुम्हारा साथ ...
                                   -----------

तुम्हारे साथ चला  नहीं जाता
नहीं सहन होती अब मुझसे
तुम्हारी बेरुखी .......

ये बेरुखी मुझे लहुलुहान  किये
दे रही है ,
कब तक पुकारूँ तुम्हें ,
जब हो मेरी हर पुकार ही अनसुनी ...

नहीं पुकारुगी तुम्हे 
ना ही मुड़ ,थाम कर कदम देखूंगी ,
तुम्हारी तरफ कातर निगाहों से ......

तोड़ डाले हैं सारे तार
जो तुम संग  जोड़े थे कभी
हर वह बात ,जो तुमसे जुडी थी ....

यह जुडाव भी तो मेरा ही था
तुम थे ही कब मेरे ,
कब चले थे साथ मेरे ...

कुछ गीले क़दमों से साथ चले
और मैं साथ समझ बैठी ..
वो क़दमों का गीला पन तो कब का
धूप में घुल गया
मैं तलाशती रही वो कदमो के निशाँ ..... 

एक आस ,एक उम्मीद 
जो तुमसे लगा कर रखी थी मैंने ,
जाओ आज मुक्त कर दिया तुम्हे
और मैं भी मुक्त ही हो गयी
तुम्हारी यादों से ,
तुम्हारे झूठे वादों से .....

--नयी दुनिया 
(Friday, 28 December 2012)
--------------------------------

                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-usiag.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
               ---------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.11.2022-सोमवार.