साहित्यशिल्पी-बदलते परिदृश्य में हिंदी भाषा की स्वीकार्यता - [आलेख] – क्रमांक-2

Started by Atul Kaviraje, November 16, 2022, 09:27:49 PM

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Atul Kaviraje

                                     "साहित्यशिल्पी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "साहित्यशिल्पी" शीर्षक के अंतर्गत, सद्य-परिस्थिती पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण लेख. इस आलेख का शीर्षक है- "बदलते परिदृश्य में हिंदी भाषा की स्वीकार्यता - [आलेख]" 

        बदलते परिदृश्य में हिंदी भाषा की स्वीकार्यता - [आलेख] – क्रमांक-2--
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     आज हम जो हिंदी बोलते हैं वह ब्रज भाषा एवं अवधी भाषा से परिवर्तित होकर इस स्वरुप में आई है। ब्रज भाषा का विस्तार अवधी भाषा से तुलनात्मक रूप से व्यापक है।बाद में ये भाषाएं अन्य पड़ोसी भाषाओं से प्रभावित हुईं । चूंकि, मुगलों, तैमूर और अलेक्जेंडर ने भारत पर हमले से भारत में नई संस्कृतियों का आविर्भाव हुआ एवं, ब्रज भाषा पर उर्दू, अरब और फारसी भाषा का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा ।
अवधी, भाषा पर संस्कृत का बेहतर प्रभाव पड़ा, विश्वविद्यालयों और साहित्यिक समृद्ध क्षेत्रों के पास, जैसे, इलाहाबाद, वाराणसी, नालंदा, पाटिलपुत्र, गया आदि क्षेत्रों में प्रचलन के कारण अवधी भाषा (18 वीं शताब्दी तक) संस्कृत मूल को बनाए रखने में सक्षम रही।18 वीं शताब्दी की शुरुआत तक, नवाब युग की स्थापना हुई थी। इसके बाद, उर्दू और फारसी भाषाओं ने अवधी को प्रभावित किया।

     दुनिया का कोई भी देश भारत की भाषाई विविधता की बराबरी नहीं कर सकता भारत में 'मातृभाषा' की संख्या,1652 है ,( जैसा कि 1961 की जनगणना में सूचीबद्ध है) भारत का संविधान किसी भी भाषा को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा नहीं देता है। हालाँकि भारत गणराज्य की केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा हिंदी है। भारतीय संविधान संविधान के अनुच्छेद 343, राजभाषा अधिनियम 1963 (यथा संशोधित 1967) के अनुसार आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं की सूची है, जिन्हें अनुसूचित भाषाओं के रूप में संदर्भित किया गया है।इन भाषों को मान्यता, स्थिति और आधिकारिक प्रोत्साहन दिया गया है।

     इसके अलावा, भारत सरकार ने 1500-2000 वर्षों के अपने लंबे इतिहास के कारण तमिल, संस्कृत, कन्नड़, तेलुगू, मलयालम और ओडिया को शास्त्रीय भाषा का गौरव दिया है। सभी भारतीय भाषाएं इन 4 समूहों में से एक में आती हैं: भारत-आर्य, द्रविड़ियन, चीन-तिब्बती और अफ्रीका-एशियाटिक। अंडमान द्वीपों की विलुप्त और लुप्तप्राय भाषाओं में पांचवां परिवार है। हिंदी दुनिया की दूसरी सबसे बोली जाने वाली भाषा है (अंग्रेजी और स्पेनिश के बाद )डॉ. जयन्ती प्रसाद नौटियाल ने भाषा शोध अध्ययन २००५ के हवाले से लिखा है कि, विश्व में हिंदी जानने वालों की संख्या एक अरब दो करोड पच्चीस लाख दस हजार तीन सौ बावन (१, ०२, २५, १०,३५२) है जबकि चीनी बोलने वालों की संख्या केवल नब्बे करोड चार लाख छह हजार छह सौ चौदह (९०, ०४,०६,६१४) है। दुनिया की अन्य प्रमुख भाषाओं की तरह, हिंदी की देश भर में कई अलग-अलग बोली और भाषाएं हैं।ब्रज भाषा)(खड़ी बोली)हरियाणवी ,बुंदेली ,अवधी ( बाघेली) (क़न्नौजी)(छत्तीसगढ़ी) प्रमुख हैं।

     सोशल मीडिया पर हिंदी भाषा के बढ़ते इस्तेमाल पर भारत में बहुत विवाद हैं । ये कटु सत्य है कि भाषा ,भारत में एक विवादास्पद मुद्दा है,1963 में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 में "देवनागरी लिपि में हिंदी" को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया था। देवनागरी लिपि संभवतः विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि हैI यह जैसी लिखी जाती है वैसी ही पढी जाती हैI इसमें अंग्रेजी के GO और TO तथा PUT और BUT जैसा उच्चारण वैषम्य नहीं हैI इसी प्रकार CALM और BALM जैसे शब्दों में L के साइलेंट होने जैसी कोई व्यवस्था नहीं हैI हिंदी में कैपिटल और स्माल लैटर का भी झंझट नहीं हैI उच्चारण और एक्सेंट की समस्या नहीं हैI

     वैश्विक स्तर पर वही भाषा टिक पाएगी जिसका शब्द-भंडार या शब्द-कोश बड़ा होI उस भाषा में औदात्य भी होना चाहिए ताकि वह अपने शब्द-भंडार को निरंतर बढ़ाता जाएI इस लिहाज से हिन्दी का यह सौभाग्य रहा है कि भारत में अनेक विदेशियों ने आकर शासन किया जिनमें तुर्क, मंगोल, अफगान, मुग़ल, फ्रांसीसी, पुर्तगीज और विशेकर अंग्रेज थेI इन शासकों ने अपनी भाषा में दरबार चलाया और देश का शासन कियाI फलस्वरूप हिन्दी भाषा शासकीय भाषाओँ से प्रभावित हुई और उसका शब्द भंडार जो संस्कृत के प्रभाव से पहले ही अत्यधिक समृद्ध था, वह और भी संपन्न होता गयाI

--सुशील शर्मा
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-साहित्यशिल्पी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-16.11.2022-बुधवार.