निबंध-क्रमांक-83-क्रिसमस का पर्व पर निबंध-अ

Started by Atul Kaviraje, November 20, 2022, 09:31:02 PM

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Atul Kaviraje

                                       "निबंध"
                                     क्रमांक-83
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- "क्रिसमस का पर्व पर निबंध"

                           क्रिसमस का पर्व पर निबंध --अ--
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     ईसा का जन्म काल-ईसा का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ था। उनकी माता का नाम मरिया था। ईसा के जन्म के काल में लोगों में अंधविश्वास फैला हुआ था। वे अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे। आतंक का साम्राज्य था शासक अत्याचार कर रहे थे।

     ईसा मसीह ने बड़ा होने पर यह देखा कि लोग आपस में लड़ झगड़ रहे हैं। उन में सहनशीलता नहीं है। वे एक दूसरे की सहायता नहीं करते। ईसा के उपदेश- ईसा मसीह ने लोगों को भाईचारे का संदेश दिया।उन्होंने लोगों को समझाया और बताया कि ईश्वर एक है। हम सब उसकी सन्तान हैं। हम सब यदि प्रेम से रहेंगे तो वह हम सब पर प्रसन्न होगा। मनुष्य की सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है। उन्होंने लोगों को सहनशील बनने के लिए कहा। छोटी छोटी बातों के लिए आपस में लड़ना ठीक नहीं।

     उपदेशों का प्रभाव- ईसा के उपदेशों का लोगों पर बहुत प्रभाव पड़ा लोग उन्हें ईश्वर का अवतार मानने लगे। उनकी पूजा होने लगी। यह धर्म के ठेकेदारों को अच्छा नहीं लगा। वे उनसे जलने लगे। उन्होंने शासकों से उनकी शिकायत की। शासकों ने उनकी शिकायत करने वालों को ठीक मान लिया। ईसा मसीह को फाँसी की सजा दे दी गई। फांसी के फंदे पर झूलते हुए उन्होंने कहा- 'भगवान, ये अज्ञानी हैं। इन्हें यह ज्ञान नहीं कि वे क्या कर रहे हैं। इनकी बुद्धि को सुधार और इनके अपराधों का क्षमा करें।'

     ईसा मसीह आज संसार में नहीं हैं, किन्तु उनका नाम अमर है। संसार के सब ईसाई उन्हें याद करते हैं। उनके उपदेशों से लाभ उठाते हैं। 25 दिसम्बर का पर्व उनकी याद में ही मनाया जाता है।

     उत्सव मनाने की विधि- 25 दिसम्बर को ईसाई लोग बड़े उत्साह और धूम धाम से मनाते हैं। वे गिरजा घरों में जाते हैं। वहाँ ये प्रभु ईसा की पूजा करते हैं। वे इस दिन की तैयारी कई दिन पहले से करनी शुरू कर देते हैं। नए-नए कपड़े सिलवाते हैं। एक दूसरे को कई प्रकार के उपहार देते हैं। वे मिठाइयां खाते हैं और एक दूसरे को देते हैं। घरों में क्रिसमस पेड़ लगाते हैं। उनपर कई प्रकार के उपहार लगाते हैं। बच्चे उन उपहारों को लेकर बहुत खुश होते हैं।

     उपसंहार- ईसा मसीह ने जीवन भर लोगों को परस्पर प्रेम करने, दूसरों के साथ दयापूर्वक व्यवहार करने और मानव सेवा की शिक्षा दी। उनके उपदेशों पर चलने से समाज की कई बुराइयाँ दूर हो सकती हैं। हमें भी उनके उपदेशों का प्रचार करना चाहिए। उनके उपदेशों पर चलने से आपस में प्रेम भाव बढ़ेगा और घृणा दूर होगी। इससे आपस में सहनशीलता बढ़ेगी। समाज में सुख और शक्ति फैलेगी। आइए, ईसा मसीह के उपदेशों को जीवन में उतारें।

     क्रिसमस का त्योहार प्रति वर्ष 25 दिसम्बर को मनाया जाता है। आने वाले 25 दिसम्बर की प्रति वर्ष बड़ी उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा की जाती है। इसी दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था, जो ईसवीं सन् के आरम्भ का प्रतीक और द्योतक है। इस संसार में महाप्रभु ईसा मसीह के इस जन्म दिन की बड़ी पवित्रता और आस्थापूर्वक मनाया जाता है। इस दिन ही श्रद्धालु और विश्वस्त भक्त जन ईसा मसीह के पुनर्जन्म की शुभकामना किया करते हैं। उनकी याद में विभिन्न स्थानों पर प्रार्थनाएँ और मूक भावनाएं प्रस्तुत की जाती हैं।

     कहा जाता है कि ईसा मसीह का जन्म 25 दिसम्बर की रात को बारह बजे बेथलेहम शहर में एक गौशाला में हुआ था। माँ ने एक साधारण कपड़े में लपेट कर इन्हें धरती पर लिटा दिया था। स्वर्ग के दूतों से संदेश पाकर धीरे धीरे लोगों ने इनके विषय में जान लिया था। धीरे धीरे लोगों ने ईसा मसीह को एक महान आत्मा के रूप में स्वीकार कर लिया।

--आमिर
(2017-12-18)
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी वार्ता.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.11.2022-रविवार.