निबंध-क्रमांक-87-पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, November 24, 2022, 08:50:24 PM

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Atul Kaviraje

                                       "निबंध"
                                      क्रमांक-87
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- "पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान पर निबंध"

                   पर्यावरण प्रदूषण की समस्या और समाधान पर निबंध--
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     इसके अतिरिक्त ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए जो ईंधन प्रयोग में लाया जाता है, यह प्राय पूरी तरह नहीं जल पाता। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि धुएँ में कार्बन मोनोक्साइड काफी मात्रा में निकलती है। आज मोटर वाहनों का यातायात तेजी से बढ़ रहा है। 960 किलोमीटर की यात्रा में एक मोटर वाहन उतनी आक्सीजन का उपयोग करता है, जितनी एक आदमी को एक वर्ष में चाहिए।

     दुनिया के हर अंचल में मोटर वाहनों का प्रदूषण फैलता जा रहा है। रेल का यातायात भी आशातीत रूप से बढ़ रहा है। हवाई जहाजों का चलन भी सभी देशों में हो चुका है। तेल-शोधन, चीनी मिट्टी की मिलें, चमड़ा, कागज, रबर आदि के कारखाने तेजी से बढ़ रहे हैं। रंग बार्निष, प्लास्टिक, कुम्हारी चीनी के कारखाने बढ़ते जा रहे हैं।

     हर प्रकार के यंत्र बनाने के कारखाने बढ़ रहे हैं। ये सब ऊर्जा उत्पादन के लिए किसी न किसी रूप में ईंधन को फूँकते हैं। ये अपने धुएँ से सारे वातावरण को दूषित करते हैं। यह प्रदूषण जहाँ पैदा होता है, वहीं पर स्थिर नहीं रहता। वायु के प्रवाह में वह सारी दुनिया में फैलता रहता है।

     सन् 1968 में ब्रिटेन में लाल धूल, गिरने लगी, वह सहारा रेगिस्तान से उड़कर आई। जब उत्तरी अफ्रीका में टैंकों का युद्ध चल रहा था। तब वहाँ से धूल उड़कर कैरीबियन समुन्द्र तक पहुँच गई थी।

     आजकल लोग घरों, कारखानों, मोटरों और विमानों के माध्यम से हवा, मिट्टी और पानी में अंधाधुंध दूषित पदार्थ प्रवाहित कर रहे हैं। विकास के क्रम में प्रकृति अपने लिए ऐसी परिस्थितियाँ बनाती हैं जो उसके लिए आवश्यक है। इसलिए इन व्यवस्थाओं में मनुष्य का हस्तक्षेप सब प्राणियों के लिए घातक होता है।

     प्रदूषण का मुख्य खतरा इसी से है कि इससे परिस्थिति संस्थान पर दबाव पड़ता है। धनी आबादी वाले क्षेत्रों मे कार्बन मोनोक्साइड की वजह से रक्त संचार में 5-10 प्रतिशत आक्सीजन कम हो जाती है। शरीर के ऊतकों को 25 प्रतिशत आक्सीजन की आवश्यकता होती है।

     आक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोक्साइड लाल रूधिर कोशिकाओं के साथ ज्यादा मिल जाती है। इससे यह हानि होती है कि ये कोशिकाएँ आक्सीजन को अपनी पूरी मात्रा में संभालने में असमर्थ रहती है।

     लंदन में चार घंटों तक यातायात संभालने के काम पर रहने वाले पुलिस कर्मी के फेफड़ों में इतना विष भर जाता है मानो उसने 105 सिगरेटें पी ली हों।

--AUTHOR UNKNOWN
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी वार्ता.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.11.2022-गुरुवार.