नीलाम्बरा-शैलपुत्री-कविता-नई भोर की नई रीत

Started by Atul Kaviraje, November 24, 2022, 09:21:47 PM

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Atul Kaviraje

                                   "नीलाम्बरा-शैलपुत्री"
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मित्रो,

     आज पढते है, डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री', इनके "नीलाम्बरा-शैलपुत्री" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- " नई भोर की नई रीत"

                               नई भोर की नई रीत--
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रात का रोना तो बहुत हो चुका ,
नई भोर की नई रीत लिखें अब।

नहीं ला सकता  है समय बुढ़ापा ,
युगल पृष्ठों पर  हम गीत लिखें अब ।

नहीं हों आँसू  हों नहीं  सिसकियाँ,
प्रेम-शृंगार और प्रीत लिखें अब।

दु:ख- संघर्षों  से हार न माने ,
वही भावाक्षर मन मीत लिखें अब।

समय जिसे  कभी  बुझा  नहीं  पाए
हम वह जिजीविषा पुनीत लिखें अब।

कभी हार न जाना ठोकर खाकर,
पग-पग पर वही उद्गीत लिखें अब।

काल -गति से  कभी बाधित न होंगे
आज कुछ इसके विपरीत लिखें अब।

यही समय हमारा नाम लिखेगा ,
सोपानों पर नई जीत लिखें अब।

--डॉ.कविता भट्ट 'शैलपुत्री'
(रविवार, 31 दिसंबर 2017)
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                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-नीलाम्बरा-शैलपुत्री.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.11.2022-गुरुवार.