unilchitranshi-कविता-नये साल के दो रंग

Started by Atul Kaviraje, November 24, 2022, 09:31:51 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                    "unilchitranshi"
                                   ------------------

मित्रो,

     आज पढते है, सुनील कुमार, इनके "unilchitranshi" इस कविता ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "नये साल के दो रंग"

                                 नये साल के दो रंग--
                                -----------------

                   पहला रंग

चलो कुछ दिन बाद  एक नया साल फिर आने वाला है |
और अपने साथ खुशियाँ ही खुशियाँ लाने वाला है |
नये साल में तो  बास की सीट भी खाली हो जाएगी |
सीनियर तो मैं ही हूँ,बस मुझको ही  मिल जाएगी |
तंगी से जूझते गुप्ता जी की पैसे की  समस्या हल हो जाएगी|
क्योंकि अलमारी में पड़ी एन एस सी भी मैच्योर हो जाएगी |
अगले साल बेटे की पोस्टिंग भी अपने शहर में हो जाएगी |
और बेटी की शादी भी से किसी अफसर से हो जायगी |
गैराज में खड़ी होंडा सिटी अब आउट डेटऐड   हो जाएगी |
अगले साल तो पाण्डेय जी की  नई बी ऍम डब्लू  आयगी |
 
                दूसरा रंग

चलो कुछ दिनों बाद एक नया साल फिर आएगा
और अपने साथ साथ फिर वही समस्याएँ लायेगा |
एक बार फिर पत्नी बच्ची की नई फ्राक के लिए चिल्लाएगी
क्योंकि छुटकी की छलनी हुई फ्राक कुछ और छोटी हो जाएगी |
बड़की की बढती हुई उम्र अब  एक साल और बढ जाएगी |
शादी का इंतजार करते करते अब तो वह बूढी कहलाएगी |
बेरोजगार बेटे की टूटी हुई चप्पल फिर उसका मुंह चिडाएगी |
अगले साल तो उसकी नौकरी की उम्र ही निकल जाएगी |
अगले साल तो  महंगाई कुछ और ज्यादा ही बढ़ जाएगी
दूध की ख़ाली बोतल मेरी बच्ची का मुंह फिर चिडाएगी |
एक रूपए की टॉफी खरीदना एक बड़ी बात बन जाएगी |
मेरी बेटी नंगे फर्श  पर अंगूठा चूसते चूसते  ही सो जाएगी |

(यह मेरी २०१० की अंतिम पोस्ट है| क्योंकि नया साल मेरे लिए बहुत  अच्छा
होगा इस बात का भ्रम पाले हुए यह भ्रमित आदमी भ्रमण पर जा रहा है|
इस भ्रमण काल  में मै २९-१२-२-१० को कानपुर,३०-१२ -२०१० से ०१-०१२०११
लखनऊ ,०२-०१ -२०११  काठगोदाम ,पन्तनगर (उधमसिंह नगर ),०५-०१ -२०११
से  ०९-०१-२०११ दिल्ली में रह कर, लौट कर बुद्धू घर को आये की  कहावत  को चरितार्थ  करते  हुए १०-०१ -२०११ को हैदराबाद आऊंगा |)

     आप सभी को नव वर्ष मंगलमय हो.

--सुनील कुमार
(सोमवार, दिसंबर 27, 2010)
---------------------------

             (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-unilchitranshi.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
             -----------------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.11.2022-गुरुवार.