लोक माध्यम-कविता-नव वर्ष तुम्हारा मंगल हो

Started by Atul Kaviraje, November 24, 2022, 09:38:19 PM

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Atul Kaviraje

                                      "लोक माध्यम"
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मित्रो,

     आज पढते है, "लोक माध्यम" इस ब्लॉग की एक कविता. इस कविता का शीर्षक है- "नव वर्ष तुम्हारा मंगल हो"

                                नव वर्ष तुम्हारा मंगल हो--
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नव वर्ष तुम्हारा मंगल हो

कोई हार गया , कोई जीत गया ,
यह साल भी आखिर बीत गया ,
कभी स्वप्न सजाये आँखों में
कभी बीत गए पल बातों में

कुछ थे तीखे तीखे छण
कुछ बीते किस्से सदमों के ,
कुछ बेरुखी, कुछ बेचैनी
कुछ मन में फ़ैली वीरानी

कुछ पल, यादों से भरे भरे
कुछ लम्हे खोये खोये से,
अब के बरस दुआ, है प्रभु से
निराश ,न  कोई पल, तेरा गुज़रे ,

कोई व्याधि न हो तेरे आस पास,
फूलों की तरह तू खिलता ही  रहे
कोई व्यक्ति न तुझ से गिला करे
तेरे सपनो का नगर , आबाद रहे ,

तू चाहे जो , हो जाए वो ,
तू मांगे जो , मिल जाए वो ,
तेरी माफ़, वो हर एक खता करे ,
राह में  तेरे पुष्प, सर्वत्र खिलें,

और मलय समीर सा जीवन हो .
नव वर्ष तुम्हारा मंगल हो

-vss रघुवंशी 
(MONDAY, 31 DECEMBER 2012)
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--Posted by lok madhyam
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              (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-vss रघुवंशी.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.11.2022-गुरुवार.