अहम् ब्रह्मास्मि:-हायकू-भीष्म अभिमन्यु संवाद

Started by Atul Kaviraje, November 26, 2022, 09:30:23 PM

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Atul Kaviraje

                                     "अहम् ब्रह्मास्मि:"
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मित्रो,

     आज पढते है, अजय त्यागी, इनके "अहम् ब्रह्मास्मि:" इस ब्लॉग का एक लेख. इस लेख का शीर्षक है- "भीष्म अभिमन्यु संवाद"

                                  भीष्म अभिमन्यु संवाद--
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     करूक्षेत्र की रणभूमि में पितामह भीष्म और अभिमन्यु का आमना-सामना होने पर हुआ संवाद पढें हायकू में-

पितामह भीष्म-
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1-
किसके सुत हे! धनुर्धारी
क्या नाम कहूँ
तुम्हारे लिए

2-
ह्रदय प्रेम उमडता तात
मैं कैसे शत्रु
तुम्हारे लिए!

3-
हाथ आशीष को उठता
कैसे शूल उठाऊँ
तुम्हारे लिए

4-
भीष्म राह आन अडे
नहीं उचित सुकुमार
तुम्हारे लिए

5-
कैसा कुटिल हुआ विधाता
खडग उठाऊँ वत्स
तुम्हारे लिए

6-
घर लौट जाओ पुत्र
समर योग्य नहीं
तुम्हारे लिए
..............

अभिमन्यु-
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1-
कुरूक्षेत्र मध्य मैं अभिमन्यु
आन खडा पितामह
तुम्हारे लिए

2-
पिता जगतपिता सखा हैं
पौत्र कहलाते हैं
तुम्हारे लिए

3-
चक्रधर सखी की आन
लेकर, सममुख आया
तुम्हारे लिए

4-
हाथ शूल, बाण धनुष
संधान करूँ मैं
तुम्हारे लिए

5-
दो अशीष हे पितामह!
चरण नमन यह
तुम्हारे लिए
*****

--अजय त्यागी
(Monday, 25 February 2013)
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               (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-aaatyagi.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-26.11.2022-शनिवार.